नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद देश की सीमा और लोगों को सुरक्षित रखने के लिहाज से सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अब जम्मू और कश्मीर में सुरक्षाबलों की अतिरिक्त कंपनियां तैनात करने का आदेश दिया है.
इसके तहत केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) की अतिरिक्त कंपनियां जम्मू-कश्मीर भेजी जा रही हैं. गृह मंत्रालय की ओर से जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव, गृह सचिव और J&K पुलिस के आईजी को फैक्स भी कर दिया गया है.
वहीं सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35-ए पर भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. ऐसे में राज्य में किसी भी अनहोनी से निटपने के लिए भी इसे सरकार की ओर से अहम कदम माना जा रहा है.
बता दें कि पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने जम्मू और कश्मीर के कई अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा समेत सरकारी सुविधाएं भी छीन ली हैं. साथ ही शुक्रवार रात को जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को भी हिरासत में ले लिया गया. अधिकारियों के अनुसार राज्य पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है.
सरकार ने अब तक जम्मू कश्मीर के 18 हुर्रियत नेताओं और 160 राजनीतिज्ञों को दी गई सुरक्षा वापस ले ली थी. इनमें एसएएस गिलानी, अगा सैयद मौसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, फारुख अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, अगा सैयद अब्दुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह, मोहम्मद मुसादिक भट और मुख्तार अहमद वजा शामिल थे. इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा में सौ से ज्यादा गाड़ियां लगी थीं. इसके अलावा 1000 पुलिसकर्मी इन नेताओं की सुरक्षा में लगे थे.