नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर बड़े आतंकी हमले और 37 जवानों के शहीद होने के बाद सरकार पर हमले के जिम्मेदार लोगों को सबक सीखाने का दबाव है, तो एक सवाल इस पर भी उठता है कि घाटी में रह रहे अलगाववादियों को सरकार की ओर से आखिरकार किस बात की सुरक्षा दी जा रही है और उन्हें ऐसी सुरक्षा दिए जाने का क्या मतलब है.
घाटी में भारत के खिलाफ खुलकर जमकर दुष्प्रचार करने और जहर घोलने वाले अलगाववादी नेताओं को सरकार की ओर से ढेर सारी सुविधाएं दी जाती हैं और वो शाही जिंदगी जीते हैं. 1 अप्रैल, 2015 को राज्य सरकार ने विधानसभा में अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया कि सरकार ने कश्मीर के अलगाववादी नेताओं समेत प्रदेश के कुल 1,472 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा में 506.75 करोड़ रुपये खर्च कर डाले.
राज्य सरकार ने उस समय यह खुलासा किया कि उस साल 1,472 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर 118.63 करोड़ रुपये खर्च किए गए. 2010-11 में यह खर्च 85.95 करोड़ रुपये का था. 2015 में राज्य सरकार ने बताया कि 2011-12 में राजनीतिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा पर 93.70 करोड़ खर्च हुए. यह खर्च साल दर साल बढ़ता ही गया. 2012-13 में यह खर्च 101.06 करोड़ और 2013-14 में 107.06 करोड़ हो गया.
सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार इन अलगाववादियों को राजनीतिक कार्यकर्ता करार देती है और उनके लिए अकेले कश्मीर में ही 400 से 500 तक होटल के कमरे रखे जाते हैं. सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि इनकी सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है. सरकार की ओर से बताया गया कि इन खर्चों में निजी सुरक्षा गार्ड (PSO),गार्ड, गाड़ियों के डीजल और होटल में ठहराने के प्रबंध पर खर्च किए जाते हैं.
राज्य सरकार की इस रिपोर्ट के अनुसार, अलगाववादियों की सुरक्षा पर पिछले 5 साल में करीब 149.92 करोड़ रुपये सुरक्षा में तैनात निजी सुरक्षा गार्ड (पीएसओ) पर खर्च किए गए. अलगाववादियों की सुरक्षा पर केंद्र सरकार भी बड़ी मात्रा में खर्च करती है. घाटी के अलगाववादी नेताओं पर खर्च का ज्यादातर हिस्सा केंद्र सरकार उठाती रही है. इस खर्च में महज 10 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार और शेष 90 फीसदी केंद्र वहन करती है.
सुरक्षा में 309 करोड़ खर्च
राज्य सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 साल में 309.35 करोड़ रुपये अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा में लगाए गए निजी सुरक्षा गार्ड (PSO) और अन्य सुरक्षा पर खर्च हो गए. इसके अलावा इनकी सुरक्षा में चलने वाली गाड़ियों पर डीजल के मद में 26.41 करोड़ खर्च किए गए. साथ ही 20.89 करोड़ इनके लिए होटल के इंतजाम पर खर्च किए गए.विधानसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक श्रीनगर में सबसे ज्यादा 804 राजनीतिक कार्यकर्ता हैं जबकि जम्मू क्षेत्र में 637 और लद्दाख क्षेत्र में 31 नेता शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार, 440 राजनीतिक कार्यकर्ताओं में 294 अनारक्षित राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल हैं जिन्हें होटल की सुविधा भी मुहैया कराई गई.
इससे पहले 2017 में जम्मू में एक आरटीआई कार्यकर्ता रोहित चौधरी ने आरटीआई दाखिल कर केंद्र और राज्य सरकार से बीते 2 सालों में अलगाववादियों पर हुए खर्च के बारे में जानकारी मांगी थी, लेकिन किसी भी सरकार ने खुलासा नहीं किया. रोहित ने दावा किया था कि अलगाववादी नेता मिरवाइज फारुक को सरकार की ओर से सुरक्षा दी गई है. इंडिया टुडे के मुताबिक कम से कम हुर्रियत के 8 नेताओं को घाटी में सुरक्षा प्रदान की गई है.