प्रयागराज। कुंभ में चल रही धर्म संसद में शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के भाषण के बाद वहां मौजूद लोगों ने जमकर हंगामा मचाया. लोगों ने भगवा झंडों को लहराते हुए राम मंदिर के जल्द निर्माण के पक्ष में नारेबाजी की. वहीं, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर भागवत ने कहा कि यह मामला ”निर्णायक दौर” में है, मंदिर बनने के किनारे पर है इसलिए हमें सोच समझकर कदम उठाना पड़ा. उन्होंने यह भी कहा कि जनता में प्रार्थना, आवेश और जरूरत पड़ी तो ”आक्रोश” भी जगाया जाना चाहिए.
धर्म संसद को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, “देश की दिशा भी इस उपक्रम में भटक न जाए, इसे भी ध्यान में रखेगा.” उन्होंने कहा, “आने वाले इन चार-छह महीने के इस कार्यक्रम को ध्यान में रखकर हमें सोचना चाहिए. मैं समझता हूं कि इन चार-छह महीने की उथल पुथल के पहले कुछ हो गया तो ठीक है, उसके बाद यह जरूर होगा, यह हम सब देखेंगे.” उन्होंने मोदी सरकार की परोक्ष रूप से सराहना करते हुए कहा कि पड़ोसी देशों से सताए गए हिंदू अगर यहां आते हैं तो वे नागरिक बन सकते हैं, यह किसने किया है?
मैं पूर्ण रूप से करता हूं राम मंदिर निर्माण का समर्थन- भागवत
उन्होंने यह बात नागरिकता संबंधी विधेयक की ओर संकेत करते हुए कही जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है. संघ प्रमुख ने कहा, “जिस शब्दों में और जिस भावना से यह प्रस्ताव (राम मंदिर निर्माण) यहां आया है, उस प्रस्ताव का अनुमोदन करने के लिए मुझे कहा नहीं गया है, लेकिन उस प्रस्ताव का संघ के सर संघचालक के नाते मैं संपूर्ण अनुमोदन करता हूं.”
अयोध्या में राम मंदिर ही बनेगा और कुछ नहीं- भागवत
सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा, ”इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के फैसले से यह साबित हो गया था कि ढांचे के नीचे मंदिर है. अब हमारा विश्वास है कि वहां जो कुछ बनेगा वह भव्य राम मंदिर बनेगा और कुछ नहीं बनेगा.” उन्होंने कहा, ”दूसरी बात, सरकार को हमने कहा कि तीन साल तक हम आपको नहीं छेड़ेंगे. उसके बाद राम मंदिर है. सरकार में मंदिर और धर्म के पक्षधर हैं. उन्होंने कहा कि न्यायालय से जल्द निर्णय की व्यवस्था के लिए अलग पीठ बन गई. लेकिन कैसी कैसी गड़बड़ियां करके उसे निरस्त किया गया, आप जानते हैं.”
केंद्र सरकार कर रही है लगातार प्रयास- RSS प्रमुख
भागवत ने कहा, ”अब जब न्यायालय ने कह दिया कि यह उसकी प्राथमिकता में नहीं है. हालांकि, सरकार ने अपना इरादा (सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर) जाहिर कर दिया है, ऐसा मुझे लगता है. उन्हें लगा कि जिसकी जमीन है, उसे वापस कर देते हैं.” उन्होंने कहा कि यह मामला निर्णायक दौर में है. मंदिर बनने के किनारे पर है, इसलिए हमें सोच समझकर कदम उठाने पड़ेंगे. हम जनता में जागरण तो करते रहें और चुप न बैठें, जनता में प्रार्थना, आवेश और जरूरत पड़ी तो आक्रोश भी जगाते रहें.
वोटों की खातिर नहीं बनेगा राम मंदिर- भागवत
भागवत ने कहा, ”आगे हम कोई भी कार्यक्रम करेंगे, उसका प्रभाव चुनाव के वातावरण पर पड़ेगा. मंदिर बनने के साथ लोग यह कहेंगे कि मंदिर बनाने वालों को चुनना है. इस समय हमें भी यह देखना चाहिए कि मंदिर कौन बनाएगा. मंदिर केवल वोटरों को खुश करने के लिए नहीं बनाएंगे तभी यह मंदिर भव्य और परम वैभव हिंदू राष्ट्र भारत का बनेगा.”