जयपुर। राजस्थान में एक बार फिर से गुर्जर आरक्षण आंदोलन की आग सुलगने लगी है. गुर्जरों ने 20 दिन के अंदर आरक्षण के लिए आंदोलन करने की चेतावनी गहलोत सरकार को दी है. इन बीस दिनों के भीतर राजस्थान में गुर्जरों की 4 जगहों पर महापंचायत होने जा रही है. जिसमें आंदोलन की रूपरेखा के साथ माहौल बनाने का प्रयास गुर्जर समाज करने जा रहा है.
गुर्जर आंदोलन संघर्ष समिति की शुक्रवार की बैठक के बाद कर्नल किरोडी सिंह बैंसला के तेवर इस बार भी काफी तीखे नजर आए. बैंसला ने कहा, ”मैं इस बार कफन बांधकर आया हूं, सरकार को चैन से राज नहीं करने दूंगा. केंद्र सरकार ने चंद दिनों ने सवर्णों को आरक्षण दिया है तो हमे आरक्षण क्यों नहीं मिल सकता. 20 दिन में सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट करे, नहीं तो एक बार फिर से सड़को पर गुर्जर समाज का आंदोलन होगा.”
केंद्र सरकार के 10 फीसदी सवर्ण आरक्षण लागू होने के बाद गुर्जर नेताओं ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि केंद्र सरकार 10 दिन के भीतर सवर्ण आरक्षण लागू कर सकती है, तो राजस्थान सरकार क्यो नहीं. उनका कहना है कि अब 50 फीसदी आरक्षण का दायरा भी खत्म हो चुका है. ऐसे में अब सरकार 50 फीसदी के बाहर भी जाकर गुर्जरों को 5 फीसदी आरक्षण दे सकती है.
गुर्जर समाज राज्य में 4 जगहों पर करेगा महापंचायत
आपको बता दें कि, बीस दिनों के भीतर गुर्जर समाज राज्य में 4 जगहों पर महापंचायत करेगा. पहली पंचायत खंडार में 27 जनवरी को, दूसरी 1 फरवरी को, तीसरी 5 फरवरी को अजमेर में और दौसा में 13 फरवरी को गुर्जर समाज की महापंचायत होगी.
जानए राज्य सरकार ने कब पहल की गुर्जरों को आरक्षण देने की
पहली बार राज्य सरकार ने 2008 में गुर्जरों को आरक्षण देने के लिए विधेयक लाई थी. जिसमें कुल आरक्षण 68 प्रतिशत हो गया था. इस विधेयक के अनुसार ईबीसी को 14, 5 प्रतिशत एसबीसी, 21 प्रतिशत ओबीसी, 16प्रतिशत एससी, 12 प्रतिशत एसटी को आरक्षण देने का प्रावधान रखा गया था. लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए रोक लगाया कि उसमें आरक्षण प्रतिशत तय सीमा को पार कर रहा है.
वहीं, 2008 में कोर्ट के स्टे के बाद राज्य सरकार 2012 में भी इसका नोटिफिकेशन लाई थी. जिसमें गुर्जर समेत एसबीसी की पांचों जातियों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था. लेकिन इसे भी कोर्ट में चैलेंज किया गया और कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. जबकि 2015 में भी राज्य सरकार ने गुर्जरों को आरक्षण देने के लिए विधेयक लाई थी. लेकिन कोर्ट ने ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट को सही नहीं माना और आरक्षण को खारिज कर दिया. इसके बाद 2018 में राजस्थान सरकार गुर्जर आरक्षण के लिए विधेयक लेकर आई थी. विधेयक सदन में पास भी हो गया. लेकिन कुछ दिनों बाद ही हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी. जिसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई, लेकिन वहां भी कोर्ट ने आरक्षण 50 प्रतिशत ज्यादा होने पर इसके लागू होने पर रोक लगा दी. कोर्ट की रोक के बाद गुर्जरो को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार ने मोर बैकवर्ड क्लास(More Backward Class) बनाया, जिसमें उनके लिए 1% आरक्षण का प्रावधान किया गया.
अब राजस्थान में नई सरकार के आते ही गुर्जरों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. इससे पहले भी वसुंधरा सरकार के आखिरी में गुर्जरों ने आंदोलन की धमकी दी थी, लेकिन जब तक गुर्जर आंदोलन करते तब तक राज्य में आचार संहिता लग चुकी थी. लेकिन गहलोत सरकार के गठन के बाद अब तक गुर्जर समाज के नेता और राज्य सरकार के बीच इस मुद्दे पर कोई वार्ता नहीं हुई है.