भारतीय खिलाड़ियों हार्दिक पांड्या और लोकेश राहुल के महिलाओं के लेकर विवादित बयान पर क्या सजा हो इसका फैसला अभी नहीं हुआ है. इस पर प्रशासकों की समिति (सीओए) की सदस्य डायना इडुल्जी ने दोनों खिलाड़ियों के खिलाफ शुक्रवार को ‘आगे की कार्रवाई तक निलंबन’ की सिफारिश की है. इसकी वजह यह है कि बीसीसीआई की विधि टीम ने महिलाओं पर इनकी विवादास्पद टिप्पणी को आचार संहिता का उल्लंघन घोषित करने से इनकार कर दिया है.
यह सुझाव दिया था एडुल्जी ने पहले
इडुल्जी ने शुरुआत में इन दोनों को दो मैचों के लिए निलंबित करने का सुझाव दिया था लेकिन बाद में इस मामले को विधि विभाग के पास भेज दिया जबकि सीओए प्रमुख विनोद राय उनसे सहमत हो गए थे और निलंबन की सिफारिश कर दी थी. कानूनी टीम से राय लेने के बाद इडुल्जी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘‘यह जरूरी है कि दुर्व्यवहार पर कार्रवाई का फैसला लिए जाने तक दोनों खिलाड़ियों को निलंबित रखा जाए जैसा कि (बीसीसीआई) सीईओ (राहुल जौहरी) के मामले में किया गया था जब यौन उत्पीड़न के मामले में उन्हें छुट्टी पर भेजा गया था.’’
बोर्ड की विधि कंपनी सिरिल अमरचंद मंगलदास की सिफारिशों के जवाब में इडुल्जी ने लिखा, ‘‘कानूनी राय के आधार पर और इस मुद्दे से निपटने के लिए अंतिम प्रक्रिया तय होने तक, सिफारिश की जाती है कि संभावित खिलाड़ियों और टीम को तुरंत यह सूचना भेजी जाए.’’
आचार संहिता के दायरे में नहीं आता मामला
विधि फर्म ने स्पष्ट किया है कि पांड्या की अनुचित टिप्पणियां आचार संहिता के दायरे में नहीं आती. विधिक राय की प्रति के अनुसार, ‘‘हमारा मानना है कि मौजूदा मामला आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में नहीं आता और मौजूदा हालात में आचार संहिता की प्रक्रिया को लागू नहीं किया जा सकता.’’ बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इडुल्जी के नजरिये का समर्थन करते हुए कहा कि जांच लंबित रहने तक निलंबन होना चाहिए.
स्टीव स्मिथ से की तुलना
उन्होंने कहा, ‘‘यह आचार संहिता का मामला नहीं बल्कि संस्थान की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना है. जैसे कि आईसीसी ने गेंद से छेड़छाड़ के आरोपों में अपनी आचार संहिता के तहत स्टीव स्मिथ पर अधिकतम एक मैच का प्रतिबंध लगाया था.’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘लेकिन खेल की प्रतिष्ठ को नुकसान पहुंचाने के लिए क्रिकेट आस्ट्रेलिया ने उन्हें एक साल के लिए प्रतिबंधित किया. जब आप उनकी मूर्खतापूर्ण टिप्पणी को देखते हैं तो बड़ी तस्वीर देखिए.’’