मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार (6 फरवरी 2024) को उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से जुड़ा बिल पेश कर दिया। इसको लेकर तमाम मुस्लिम नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कई मुस्लिम नेताओं और संगठनों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है और UCC को नकार दिया है।
खुद को मुस्लिमों का रहनुमा मानने वाला ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने समान नागरिक संहिता की की जरूरत को ही नकार दिया। कॉन्ग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने समान नागरिक संहिता को मुद्दे से भटकाने वाला बताया। वहीं, सपा नेता एसटी हसन ने कहा कि यह बिल कुरान के खिलाफ होगा तो उसका विरोध किया जाएगा।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बोला- यूसीसी की जरूरत ही नहीं
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, “जहाँ तक यूसीसी का सवाल है, हमारी राय है कि प्रत्येक कानून में एकरूपता नहीं लाई जा सकती है। यदि आप किसी खास समुदाय को इस यूसीसी से छूट देते हैं तो इसे एक समान कोड कैसे कहा जा सकता है? संविधान का आर्टिकल 25 अभी भी है।”
फिरंगी महली ने आगे कहा, “संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता दी गई है। मुस्लिमों में शादी विवाह के लिए के लिए शरिया लॉ 1937 से मौजूद है। हिंदुओं, सिखों के लिए कानून मौजूद है। ऐसे में किसी यूसीसी की जरूरत नहीं ही है। बाकी हमारी टीम इस बिल की कॉपी मिलने के बाद इसे पढ़ेगी, फिर आगे का फैसला लिया जाएगा।”
#WATCH | Lucknow: On the UCC bill tabled in Uttarakhand Assembly, Executive Member, All India Muslim Personal Law Board (AIMPLB) Maulana Khalid Rasheed Farangi Mahali says "As far as UCC is concerned, we are of the opinion that uniformity cannot be brought in each and every law… pic.twitter.com/8RuA5GpejS
— ANI (@ANI) February 6, 2024
उत्तराखंड सरकार फेल, मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश: कॉन्ग्रेस
कॉन्ग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने इस मामले को सियासी बताते हुए कहा, “भारतीय जनता पार्टी की राज्य सरकारों के पास भी गिनाने के लिए काम के तौर पर कुछ नहीं है। उत्तराखंड की सरकार कानून व्यवस्था से लेकर महिला सुरक्षा तक में पूरी तरह विफल हो चुकी है। पुष्कर सिंह धामी के पास और कोई तरीका नहीं बचा है लोकसभा चुनाव में जाने के लिए। यूसीसी का प्रोपेगेंडा खड़ा करना है।”
प्रतापगढ़ी ने कहा, “इस देश में अलग-अलग रंग के फूल हैं। अलग-अलग रंग के फूलों की महत्ता है। आप पूरे देश को एक रंग में रंग देना चाहते हैं। ये कहीं से भी भारत जैसे विविधता वाले देश के लिए अच्छा नहीं है। लेकिन पूरी तरह विफल है। अंकिता भंडारी को आजतक इंसाफ नहीं मिला है। उत्तराखंड में आज भी लोगों के पास रोजगार नहीं है, अग्निवीर योजना को लेकर युवाओं में गुस्सा.. इस सारे मुद्दों पर घिरी हुई उत्तराखंड की सरकार के और कुछ नहीं है।”
#WATCH | On the UCC bill in Uttarakhand Assembly, Congress MP Imran Pratapgarhi says, "The Uttarakhand government has failed on all issues including women's safety and law and order in the state….The state government can try this as well, but BJP will still lose in Uttarakhand… pic.twitter.com/7ILW5g6Bxl
— ANI (@ANI) February 6, 2024
असम के बदरुद्दीन अजमल बोले- कचरे में डाल देना चाहिए ये बिल
एआईयूडीएफ के अध्यक्ष और असम से सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा, “हमारा हिंदुस्तान एक रंगा-रंग बगीचा है। कोई भी बगीचा कितना भी खूबसूरत क्यों न हो, अगर उसमें सिर्फ एक फूल है तो आप उसे ज्यादा देर तक देख नहीं पाएँगे। भारत में लोग सभी धर्मों की संस्कृति जीवित है। यही हमारी खूबसुरती है। एक जिन्न आकर औरत-मर्द सबको एक कर दे… तो ऊपर वाला चाहता तो वैसा ही बना देता। दुनिया में मर्द बनाते ही नहीं, सारी औरतें बन जातीं। औरत नहीं बनाता तो सारे मर्द बन जाते। प्रकृति के खिलाफ कुछ भी ज्यादा दिन चलने वाला नहीं है।”
अजमल ने आगे कहा, “जब सरकार विफल हो जाती है तो कुछ चमकदार लाना होता है। असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा भी समय-समय पर ऐसा ही करते हैं। लोगों का ध्यान भटकाने के लिए वो कुछ न कुछ बोलते रहते हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पीएम मोदी को खुश करना चाहते हैं। ये चलेगा नहीं, क्योंकि ये नेचर के खिलाफ है। बाकी इस बिल को कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए।”
#WATCH | On the UCC bill in Uttarakhand Assembly, AIUDF president and MP says, "India is a colourful garden. However beautiful a garden is, if it has just one flower, you will not be able to look at it for long. In India, people of all faiths, culture live. That is our… pic.twitter.com/ufVBny7VmM
— ANI (@ANI) February 6, 2024
शरियत के खिलाफ कानून बना तो मंजूर नहीं: सपा संसद
इस बिल पर सपा सांसद एसटी हसन ने कहा कि कुरान के खिलाफ कोई भी कानून मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा, “अगर कोई कानून ऐसा बनता है, जो हमें… मुसलमानों को कुरान-ए-पाक ने दी गई हिदायत के खिलाफ बनता है। जैसे कि हम साढ़े 14 सौ साल से पैतृक संपत्ति में बेटी को हिस्सा दे रहे हैं। कितना देते हैं, वो अलग बात है। उसके खिलाफ कोई कानून बनता है तो हम उसे मानने को तैयार नहीं है।”
एसटी हसन ने आगे कहा, “अगर मुसलमानों के हित में है, अगर शरियत के हिसाब से है… हर वो कानून शरियत का जिससे दूसरे को परेशानी नहीं हो रही तो इन्हें (भाजपा को) क्यों परेशानी है? कब तक ये हिंदू-मुसलमान कहकर पोलराइज करते रहेंगे। अब लोग तंग आ चुके हैं इस राजनीति से।”
#WATCH | On Uniform Civil Code Uttarakhand 2024 Bill, Samajwadi Party MP ST Hasan says, "If a law is made which is against the tenets of the Quran, then we will not agree with it…Till when will they keep polarising the votes, people are fed up of this now." pic.twitter.com/OjwkCdonWv
— ANI (@ANI) February 6, 2024
गौरतलब है कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) आने के बाद समाज में कई बदलाव होने वाले हैं। नए कानून में विवाह, लिव-इन रिलेशनशिप, उत्तराधिकार से लेकर तमाम सिविल मामलों को लेकर प्रावधान किए गए हैं। ये सारे प्रावधान बिन किसी धार्मिक भेदभाव के सब पर लागू होंगे। मसलन, 18 साल की उम्र में अगर लड़की की शादी होनी है तो यह कानून सारे लोगों पर लागू होगा।