उत्तर प्रदेश में पुलिस ताबडतोड़ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई कर रही है. साल के पहले ही दिन बसपा सरकार में मंत्री रहे मीट कारोबारी याकूब कुरैशी पर कार्रवाई हुई. पुलिस ने परिवार और कर्मचारियों के नाम पर खरीदी गई 31 करोड़ रुपए से ज्यादा की सम्पत्ति पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की. पूरे मामले में उनकी पत्नी, बेटे और कर्मचारियों पर अलग-अलग धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए.
क्या है गैंगस्टर एक्ट?
इस एक्ट को समझने से पहले गैंगस्टर का मतलब जान लेते हैं. यह दो शब्दों से मिलकर बनाया गया है. पहला गैंग जिसका मतलब है समूह यानी ग्रुप. दूसरा स्टर यानी भीड़ से निकाला गया. इस तरह गैंगस्टर एक्ट को उन अपराधियों के लिए लागू किया गया है जो समूह बनाकर अपराध को अंजाम देते हैं. इस एक्ट को उत्तर प्रदेश में 1986 में लागू किया गया.
यह कानून कहता है, अगर एक या इससे अधिक लोगों का ग्रुप अपराध करके किसी भर तरह का फायदा उठाता है तो उन्हें गैंगस्टर माना जाएगा. इस तरह के अपराध करने वाले अपराधियों को गंभीर अपराधों के लिए जाना जाता है. ऐसे अपराधियों को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने इसे लागू किया.
साल 2021 में इसमें और कई नियम शामिल किए गए. इसमें अपराधी की सम्पत्ति को जब्त करने का प्रावधान भी जोड़ा गया. इसके साथ ही जिले के डीएम के अधिकारों का दायरा भी बढ़ाया गया है. इसके साथ ही कार्रवाई को और भी सख्त किया गया.
किन पर होती है ऐसी कार्रवाई और कितनी मिलती है सजा?
ऐसे अपराधी जो डकैती, रंगदारी, लूट और हत्या जैसे अपराध करते हैं उन्हें गैंगस्टर की कैटेगरी में रखा जाता है. ऐसे गैंगस्टर पर कई मुकदमे दर्ज होते हैं. ये समूह में काम करते हैं. थाना प्रभारी कई घटनाओं को अंजाम देने वाले इन अपराधियों का चार्ट बनाता है और फिर उन अपराधियों को गैंगस्टर घोषित किया जाता है.
गैंगस्टर एक्ट को 1986 में लागू किया गया लेकिन 2015 में इसे कई बदलाव किए गए. नए बदलाव के तहत गैंगस्टर पर कम से कम 2 और अधिकतम 10 साल की सजा देने का प्रावधान तय किया गया. नए बदलाव करते वक्त उसमें 15 और अलग-अलग तरह के अपराधों को शामिल किया गया. इसमें अंगों की तस्करी, बंधुआ मजदूरी या बालश्रम कराने, जाली नोट छापने और मानव तस्करी जैसे अपराध शामिल किए गए.