कानपुर/लखनऊ। कानपुर के बिकरू गांव में जुलाई 2020 में दबिश देने गई पुलिस टीम पर विकास दुबे गैंग ने हमला बोल दिया था. गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी. बिकरू कांड के 44 आरोपियों में 30 आरोपी पर गैंगस्टर का मामला दर्ज हुआ था. आज (5 सितंबर) इन 30 आरोपियों पर गैंगस्टर के केस में सुनवाई हुई, जिसमें 23 लोगों को दोषी करार दिया गया. वहीं, सात आरोपितों के खिलाफ साक्ष्य न मिलने के कारण उन्हें आरोपमुक्त कर दिया गया.
दोषमुक्त करार दिए लोगों में प्रशांत उर्फ डब्बू, अरविंद उर्फ गुड्डन, संजू उर्फ संजय दुबे, सुशील तिवारी, राजेंद्र मिश्रा, बालगोविंद और रमेश चंद्र शामिल हैं. इनको कोर्ट ने सबूत के अभाव में बरी किया है. वहीं, अन्य 23 आरोपियों को 10-10 साल की सजा सुनाई और 50 हजार का जुर्माना भी लगाया.
गौरतलब है कि ये सुनवाई केवल गैंगस्टर केस में हुई है, बिकरू कांड वाले मामले में इन सभी 30 लोगों पर अभी भी केस चल रहा है. उसमें दोषी पाए जाने पर अलग सजा मिलेगी. तत्कालीन चौबेपुर थानाध्यक्ष कृष्ण मोहन राय ने 23-10-2020 को बिकरूकांड में 44 आरोपियों में 30 आरोपी पर गैंगस्टर की FIR दर्ज की थी.
विकास दुबे के खूनी खेल से कांप उठा था बिकरू गांव
2 जुलाई 2020 की रात को सीओ बिल्हौर ने पुलिस फोर्स के साथ विकास दुबे को अरेस्ट करने के लिए बिकरू में दबिश दी थी. इस दबिश की सूचना विकास दुबे को पहले ही मिल गई. पुलिस के गांव में एंट्री करते ही छतों पर मौजूद विकास दुबे और उसके शूटर्स ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की जान चल गई. इस दौरान पुलिस टीम के कुछ सदस्यों ने मौके से भागकर अपनी जान बचाई.
इस घटना से पूरा प्रदेश हिल गया. पुलिस ने एक्शन लेना शुरू किया. कुछ रोज में ही विकास दुबे गैंग के पांच सदस्यों को एनकाउंटर में मार गिराया गया. 45 आरोपियों को जेल भेजा गया. फिर 10 जुलाई को विकास दुबे को भी मुठभेड़ में मार गिराया गया. उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन से पकड़ा गया था. पुलिस ने कहा था कि विकास दुबे ने भागने की कोशिश की और पुलिस पर गोली चलाई. ऐसे में आत्मरक्षा में पुलिस ने भी गोली चलाई, जिसमें विकास दुबे ढेर हो गया.