एनसीपी नेता अजित पवार अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए. उन्होंने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. उनके साथ एनसीपी के 8 विधायकों ने भी शिंदे सरकार में मंत्री पद की शपथ ली. एनसीपी के बागी नेताओं के महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के बाद एकनाथ शिंदे गुट में बेचैनी देखने को मिल रही है. शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता संजय शिरसाट ने कहा कि हम हमेशा से एनसीपी और शरद पवार के खिलाफ रहे हैं. उन्होंने कहा कि एनसीपी नेताओं के साथ आने के बाद हमारे नेता नाराज हैं. क्योंकि एनसीपी के शामिल होने के बाद हमारे कुछ नेताओं को मनचाहा पद नहीं मिलेगा.
सीएम शिंदे निकालेंगे हल- संजय शिरसाट
संजय शिरसाट ने कहा, हम हमेशा से एनसीपी और शरद पवार के खिलाफ रहे हैं. शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को मोहरा बनाकर सरकार चलाई. महाराष्ट्र का सीएम होकर भी हमारा नहीं था. हमारा विरोध जायज है. हम पहले भी उद्धव ठाकरे को यही कहते थे कि एनसीपी पार्टी का साथ छोड़ें. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस मुद्दे का हल निकालेंगे.
सीएम शिंदे से मिलकर भी जता चुके नाराजगी
इससे पहले सोमवार को भी शिंदे गुट के सभी मंत्रियों ने सीएम शिंदे से ठाणे स्थित उनके निजी आवास पर मुलाकात की थी. इस दौरान कैबिनेट मंत्री उदय सामंत, गुलाबराव पाटिल, शंभूराज देसाई के साथ शिंदे गुट के नेता दादा भुसे, संदीपन भुमरे मौजूद थे. सभी ने अजित पवार और उनके वफादारों को सरकार में शामिल करने के फैसले पर भी नाराजगी जताई थी.
निराधार नहीं शिंदे गुट की बेचैनी
शिंदे खेमे के बीच बेचैनी की वजह निराधार नहीं है. असल में, शिंदे-फडणवीस सरकार ने इसी 30 जून को ही एक साल पूरा किया था, लेकिन अभी भी राज्य में 23 कैबिनेट खाली हैं. अजित पवार की बगावत और एनडीए में उनकी एंट्री का प्रकरण को अनायास ही सामने आया, नहीं तो यह लगभग तय था कि महाराष्ट्र सरकार जुलाई में कैबिनेट विस्तार करने जा रही है. ऐसी खबरें पुख्ता तौर पर सामने आई थीं. जाहिर तौर पर अगर कैबिनेट विस्तार सिर्फ भाजपा-शिवसेना के बीच होता तो शिंदे गुट के नेता-विधायकों को विभाग मिलते. लेकिन, अजित पवार ने जब एनडीए में एंट्री ली तो उनके साथ 8 नेताओं ने आते ही मंत्री पद की शपथ ले ली है. ऐसे में भाजपा-शिवसेना के कोटे से ही इन मंत्री पद की कटौती होगी.