कहीं गोलीबारी-आगजनी, कहीं सुरक्षाबलों से उग्रवादियों की मुठभेड़, पिछले 24 घंटे में कैसे सुलग उठा मणिपुर

मणिपुर में 3 मई से हिंसा हो रही है. आगजनी और फायरिंग की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. (फोटो-पीटीआई)पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में हिंसा का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दौरे के बीच पिछले 24 घंटे में एक बार फिर हिंसा सुलग उठी है. गुरुवार को राज्यभर में अलग-अलग घटनाएं हुईं. कहीं गोलीबारी हुई है. कहीं टायर जलाए गए हैं तो कहीं सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ हो गई है. पुलिस को हालात पर काबू पाने के लिए बल का प्रयोग करना पड़ा है.

इस बीच, गुरुवार को हिंसा की अलग-अलग घटनाएं हुई हैं. कंगपोकली जिले में प्रदर्शनकारियों और जवानों के बीच झड़प हुई है. सुरक्षाबलों का कहना है कि इन लोगों ने बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की थी. सुरक्षाकर्मियों ने स्थिति पर काबू पाने के लिए जवाब में फायरिंग की. इस मुठभेड़ में एक शख्स की मौत हो गई. पांच लोग घायल हुए हैं. इनके बारे में पता किया जा रहा है. ये घटना हरओथेल गांव की है. माना जा रहा है कि एक अन्य उग्रवादी भी मारा गया है, लेकिन अभी तक शव नहीं निकाला जा सका है. घटनास्थल पर रुक-रुक कर गोलीबारी हो रही थी.

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मणिपुर में सीएम आवास तक जुलूस निकालने की कोशिश

इस घटना में शामिल उपद्रवी जिस समुदाय से आते हैं, उसके सदस्य बौखला गए. देर रात तनाव उस वक्त और बढ़ गया, जब शव के साथ प्रदर्शनकारी इम्फाल पहुंच गए. राजधानी में मुख्यमंत्री आवास तक जुलूस निकालने की कोशिश की गई. जब पुलिस ने इन्हें सीएम आवास की तरफ जाने से रोका तो जुलूस हिंसक हो गया. उसके बाद पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया. गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रदर्शन करने वालों ने सड़कों पर टायर भी जलाए.

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मणिपुर: बाजार में एकत्रित हुई थी भीड़

प्रदर्शनकारियों ने पहले कर्फ्यू के आदेशों का उल्लंघन किया और फिर न्याय की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आए. गुस्साई भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के जवानों ने मोर्चा संभाला. भीड़ इम्फाल के मध्य में ख्वायरनबंद बाजार में एकत्र हुई थी, जहां सुबह कांगपोकपी जिले में गोलीबारी में मारे गए एक व्यक्ति का शव लाया गया था और उसे ताबूत में रखा गया था. आरएएफ कर्मियों के साथ पुलिस मौके पर पहुंची. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. फिर उन्होंने शव को जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मुर्दाघर भेजा.

बीजेपी के दफ्तर को भी बनाया गया निशाना

हिंसा में मणिपुर में बीजेपी के एक दफ्तर पर भी हमला किया गया. वहां भीड़ जमा होने के बाद कड़ी सुरक्षा कर दी गई थी. दरअसल, जब ख्वायरमबंद बाजार में एकत्रित लोगों को गिरफ्तार करने के लिए पहुंची तो उन्होंने बीच सड़क पर टायर जलाए. इस हाथापाई में बीजेपी दफ्तर को भी निशाना बनाया गया. यहां तोड़फोड़ की गई. स्थिति अब नियंत्रण में है.

मणिपुरपूरे घटनाक्रम पर सेना ने क्या कहा…

इलाके में एक्टिव सेना के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से सुबह की गोलीबारी के बारे में जानकारी दी गई. इसमें बताया कि उग्रवादियों ने हरोथेल गांव में गुरुवार सुबह 5.30 बजे अचानक गोलीबारी शुरू कर दी. हालात कंट्रोल करने के लिए तुरंत जवान एक्टिव हुए और मोर्चा संभाला. दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई. जवानों ने किसी भी अतिरिक्त क्षति को रोकने के लिए सुव्यवस्थित तरीके से जवाब दिया. सैनिकों की त्वरित कार्रवाई के कारण गोलीबारी बंद हो गई. क्षेत्र में भीड़ के जमावड़े को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया गया. उसके बाद शाम करीब 4 बजे क्षेत्र में तैनात जवानों ने मुनलाई गांव के पास गोलीबारी की आवाज सुनी. शाम करीब 5.15 बजे राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय के पास बेथेल गांव की तरफ गोलीबारी की सूचना मिली. यह क्षेत्र राजधानी इम्फाल से करीब 20 किमी दूर स्थित है.

राहुल को रोका, ग्रेनेड हमले की आशंका जताई

इससे पहले मणिपुर पुलिस ने गुरुवार दोपहर राहुल गांधी को बिष्णुपुर में रोक लिया था. जिले के एसपी हेसनाम बलराम सिंह ने ग्रेनेड हमले की आशंका जताई थी. उन्होंने कहा, हालात देखते हुए हमने आगे बढ़ने से रोका है. उन्हें हेलिकॉप्टर के जरिए चुराचांदपुर जाने का आग्रह किया है. जिस रास्ते से वीआईपी काफिला गुजरना था, वहां पर ग्रेनेड अटैक का खतरा है. ऐसे में सड़क मार्ग के जरिए जाने की अनुमति नहीं दी गई.

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बता दें कि मणिपुर 58 दिन से हिंसा की आग में जल रहा है. अब तक 120 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. तीन हजार ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हुए हैं. करीब 50 हजार लोग अपना घर-बार छोड़कर रिलीफ कैम्प में रहने को मजबूर हैं. राज्य में तीन मई को कुकी समुदाय की ओर से निकाले गए ‘आदिवासी एकता मार्च’ के दौरान हिंसा भड़की थी. इस दौरान कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गई थी. तब से ही वहां हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. जानकारों का मानना है कि बातचीत से ही इस हिंसा को शांत किया जा सकता है, लेकिन समस्या ये है कि बातचीत को कोई तैयार हो नहीं रहा है.

कब से जल रहा है मणिपुर? 

– तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई.
– इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे.
– तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया.

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– 20 अप्रैल को मणिपुर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था. इसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था. इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है.
– मणिपुर हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद नगा और कुकी जनजाति समुदाय भड़क गए. उन्होंने 3 मई को आदिवासी एकता मार्च निकाला.

मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा? 

– मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसपास है.
– राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है. सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है. पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है.

मणिपुर– मणिपुर में एक कानून है. इसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं. लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं.
– पूरा मसला इस बात पर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है.

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