सब समय की बात है, प्रयागराज लौटते वक्त बोला माफिया डॉन अतीक अहमद – गलत सजा हुई है

अहमदाबाद/लखनऊ। माफिया डॉन अतीक अहमद (Atiq Ahmed ) को गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज लाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश पुलिस सड़क के रास्ते अतीक को प्रयागराज ला रही है। इस बीच एक बार अतीक के काफिले में शामिल एक गाड़ी खराब भी हो गई और यह काफिला कुछ पल के लिए रुका। लेकिन इसके बाद यह काफिला आगे बढ़ गया। गुजरात की सीमा पार कर यह अतीक का वैन राजस्थान में घुसा। डुंगरपुर के बिछिवाड़ा में अतीक अहमद का काफिला रुका था। यहां अतीक अहमद ने मीडिया से कहा कि वो संतुष्ट है। दरअसल मीडिया से उससे पूछा कि क्या आप अपनी सुरक्षा को लेकर संतुष्ट हैं? तब इसपर जवाब देते हुए अतीक ने कहा कि मैं संतुष्ट हूं, आप लोग अपना कर्तव्यअच्छे से निभा रहे हैं।

अतीक अहमद को अभी रात भर पुलिस के वैन में सफर करना है। इससे पहले उत्तर प्रदेश पुलिस 26 मार्च को भी अतीक अहमद को अदालत में पेश करने के लिए गुजरात के अहमदाबाद शहर से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिला ले गई थी। 28 मार्च को वहां की अदालत ने 2006 के उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक अहमद और दो अन्य को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। अतीक अहमद ने कानून द्वारा मिली इसी सजा पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

उत्तर प्रदेश के 60 वर्षीय पूर्व विधायक और लोकसभा के पूर्व सदस्य अतीक को प्रयागराज से लगभग 24 घंटे की सड़क यात्रा के बाद 29 मार्च को उत्तर प्रदेश पुलिस की वैन में गुजरात की उच्च सुरक्षा वाली जेल में वापस लाया गया था।

इसी साल हुई थी उमेश पाल की हत्या

उमेश पाल और उनके दो पुलिस सुरक्षा गार्ड की इस साल 24 फरवरी को प्रयागराज के धूमनगंज इलाके में स्थित उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पाल की पत्नी जया पाल द्वारा दर्ज कराई गई एक शिकायत के आधार पर अहमद, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, दो बेटों, सहयोगियों गुड्डू मुस्लिम और गुलाम एवं नौ अन्य के खिलाफ 25 फरवरी को एक मामला दर्ज किया गया था।

अतीक अहमद ने पिछले महीने सुरक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। अपनी याचिका में उसने दावा किया था कि उसे और उसके परिवार को प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड में बतौर आरोपी, झूठा फंसाया गया है और उत्तर प्रदेश पुलिस उसे फर्जी मुठभेड़ में मार सकती है। अपनी याचिका में, अहमद ने कहा था कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उसे अहमदाबाद से प्रयागराज ले जाने के लिए उसकी ट्रांजिट रिमांड और पुलिस रिमांड की मांग किए जाने के बीच उसे ”वास्तव में आशंका है कि इस ट्रांजिट अवधि के दौरान उसका खत्मा किया जा सकता है।”