हिन्दू घृणा से सनी फिल्म मेकर लीना मणिमेकलई (Leena Manimekalai) ने माँ काली, भगवान शिव और माता पार्वती की धूम्रपान करती तस्वीर पोस्ट करने के बाद एक बार फिर से विवादित बयान दिया है। वॉयस ऑफ अमेरिका को दिए एक इंटरव्यू में लीना ने माता काली को लेकर बात की। इसके साथ ही हिन्दुत्व के खिलाफ बयानबाजी की।
लीना मणिमेकलई ने बताया कि वो किस तरह से काली को देखती है। इंटरव्यू में लीना ने कहा, “मेरी काली क्वीर (समलैंगिकों के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला शब्द) है। वह एक स्वतंत्र आत्मा है। वह पितृसत्ता पर थूकती है। वह हिंदुत्व को नष्ट करती है। वह पूंजीवाद को खत्म करती है। वह अपने सभी हजार हाथों से सभी को गले लगाती है।” लीना ने कहा, “जब मैं काली को धारण करती हूँ, तो मैं स्वयं काली हूँ।”
“My Kaali is queer. She is a free spirit. She spits at the patriarchy. She dismantles Hindutva. She destroys capitalism, She embraces everyone with all her thousand hands.”
As told to @VOANews
Film on Hindu Goddess Sparks Anger in India https://t.co/6QQOaCqKFn
— Leena Manimekalai (@LeenaManimekali) July 8, 2022
वहीं हिन्दू भावनाओं को आहत करने पर भारत में लीना के खिलाफ पैदा हुए आक्रोश पर फिल्म निर्माता ने खुद को पीड़ित बताने की कोशिश की। लीना ने कहा, “अगर गली में कोई व्यक्ति आप पर झपटता है, तो यह एक अपराध है। यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर आपसे छेड़छाड़ करता है, तो यह यौन उत्पीड़न है। अगर कोई व्यक्ति आपके चेहरे पर तेजाब फेंकता है, तो यह हत्या का प्रयास है। अगर कोई व्यक्ति आपके खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करता है तो यह गाली है। अगर कोई व्यक्ति आपके परिवार और दोस्तों और समर्थकों के पीछे जाता है और उन्हें धमकाता है, तो यह हिंसा है। अगर यह सब भीड़ द्वारा किया जाता है, तो आप इसे सिर्फ एक ‘आक्रोश’ कैसे कह सकते हैं?”
ट्विटर पर हिन्दुओं के आक्रोश का हवाला देते हुए लीना कहती है, “मैं 2,00,000 आईडी को रिपोर्ट कैसे कर सकती हूँ? मुझे कहाँ रिपोर्ट करनी चाहिए? कौन कार्रवाई करने जा रहा है? भारत में कोई कानून नहीं है। देश का संविधान मर चुका है।”
धार्मिक भावनाएँ आहत करने वाले सावधान रहें
राजस्थान के झुंझुनू में चल रहे राष्ट्रीय स्वयं सेवक (RSS) के तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रान्त प्रचारकों की बैठक में काली विवाद पर भी बात की गई। शनिवार को आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, “भारत में रचनात्मक स्वतंत्रता एक परंपरा रही है। लेकिन किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए। सभी को इससे सावधान रहना चाहिए।”
इसके साथ ही उन्होंने उदयपुर की घटना की भर्त्सना की और कहा कि इस हत्या के विरोध में मुस्लिम समुदायों को भी आगे आना चाहिए।