लखनऊ । उत्तर प्रदेश की दो अदालतों में आज तीन बड़े मामलों की सुनवाई होनी है। जिसके चलते आज पूरे देश की नजर यूपी की दो अदालतों पर रहेगी। ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे और कमिश्नर को हटाने को लेकर आज डिस्ट्रिक्ट कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है। इसकी के साथ ताजमहल के बंद 20 कमरे खोलने और श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर भी सुनवाई होनी है। जिसके चलते सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं।
वाराणसी की चर्चित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज सुनवाई के बाद यह तय होगा कि मस्जिद का आगे सर्वे होगा या नहीं और दूसरी ओर सर्वे करने के लिए तैनात किए गए कोर्ट कमिश्नर को हटाया जाएगा या नहीं।
क्यों नहीं हो सका था सर्वे : ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे करने के लिए पिछले हफ्ते दो दिन लगातार टीम पहुंची थी लेकिन सर्वे नहीं हो पाया। टीम का कहना था कि मस्जिद के अंदर काफी लोग मौजूद थे। बता दें कि अदालत ने ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी व अन्य विग्रहों की कमीशन कार्यवाही के दौरान वीडियोग्राफी, एकत्रित किए गए साक्ष्यों व प्रमाणों को सुरक्षित रखने के लिए स्थान उपलब्ध कराने का आदेश पुलिस आयुक्त को दिया है।
हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद भी इसको लेकर दोनों पक्षकारों में तनातनी है। ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है। इस मस्जिद को लेकर दावा किया जाता है कि इसे मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि इस ढ़ाचे के नीचे 100 फीट ऊंची विशेश्वर का स्वयम्भू ज्योतिर्लिंग स्थापित है। पूरा ज्ञानवापी इलाका एक बीघा, नौ बिस्वा और छह धूर में फैला है।
कोर्ट में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2,050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने सन् 1664 में मंदिर को नष्ट कर दिया था। दावा किया गया कि इसके अवशेषों का उपयोग मस्जिद बनाने के लिए किया था, जिसे मंदिर भूमि पर निर्मित ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।
जानिए क्या है काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी परिसर विवाद : ज्ञानवापी परिसर में नया मंदिर निर्माण और पूजा-पाठ करने को लेकर 15 अक्टूबर 1991 को सिविल जज (सिडि.) वाराणसी की अदालत में वाद दायर किया गया था। जिसमें विवादित स्थल को स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का अंश बताया गया। ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद 1991 से ही चल रहा है लेकिन 31 साल बाद भी मुकदमे की सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है। एक पक्ष द्वारा दावा किया जाता है कि मंदिर तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद निर्माण किया गया था। ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे 100 फीट ऊंची विशेश्वर का स्वयम्भू ज्योतिर्लिंग स्थापित है। बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के पास ही ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है।
क्या खुलेगा बंद कमरों का राज : ताजमहल के बंद तहखाने को खुलवाने व जांच को इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच में दायर याचिका पर भी आज सुनवाई होनी है। बता दें कि ताजमहल की उत्तरी दीवार के दो दरवाजे तो ईंटों की चिनाई कर बंद करा दिए गए, जबकि वर्ष 1970 से पूर्व यह खुले थे। यहां से लोग स्मारक में प्रवेश कर ऊपर पहुंचते थे। ताजमहल में प्रवेश के लिए पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी गेट हैं। दिशाओं के आधार पर इन गेटों का नामकरण कर लिया गया है।
उत्तर में यमुना होने से कोई बड़ा दरवाजा नहीं है, लेकिन यहां दोनों किनारों पर बने बसई घाट व दशहरा घाट के नजदीक ताजमहल के दो दरवाजे हुआ करते थे। ताजमहल के म्यूजियम में लगी पेंटिंग में इन दरवाजों को देखा जा सकता है। यह दरवाजे यमुना किनारा से आने वाले लोगों के ताजमहल में प्रवेश के लिए बनाए गए थे। 1970 से पूर्व इन दरवाजों से होकर ताजगंज के बाशिंदे स्मारक में जाया करते थे। बाद में इन दरवाजों को बंद कर दिया गया था।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में भी आज होनी है सुनवाई : वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के मामले की सुनवाई के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में शाही मस्जिद का मामला भी काफी गरम है। इस मामले में भी आज सुनवाई होनी है। मथुरा में इन दिनों श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही मस्जिद को हटाने का मामला कोर्ट में है। मंगलवार को इस मामले में सुनवाई थी, लेकिन एक वकील के निधन के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गई थी।
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से सटी शाही मस्जिद ईदगाह का वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की तरह कमिश्नर नियुक्त कर सर्वे कराने को लेकर आज अदालत में सुनवाई होगी। इसके अलावा यहां के दूसरे वाद पर भी सुनवाई होनी है। जिसमें यहां के श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह को हटाकर पूरी जमीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपने की मांग की गई है। दोनों याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने जानकारी दी कि केशव देव मंदिर से संबंधित जो भी साक्ष्य हैं, वो मिटाए जा रहे हैं।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में अब तक अदालत में दस वाद दायर हो चुके हैं। धीरे-धीरे सभी मामले की सुनवाई की जा रही है। हमको भरोसा है कि हमारे पक्ष को यहां की कोर्ट में न्याय जरूर मिलेगा। महेन्द्र प्रताप सिंह ने इससे पहले एक केस दायर कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद हटाकर पूरी 13.37 एकड़ जमीन ठाकुर केशवदेव को सौंपने की मांग की है।