विवाद की वजह बने तीन नए कृषि कानूनों के बारे में यहां जानिए सब कुछ

नई दिल्ली। लोकसभा के मानसून सत्र में किसानों के हितों में तीन बिल (विधेयक) पारित हुए हैं. कृषि से जुड़े इन तीन अहम विधेयकों पर राजनीति गरमा गई है. पंजाब से लेकर महाराष्ट्र तक कई दल इसका विरोध कर रहे हैं. इन विधेयकों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था. आइए, हम आपको बताते हैं इन विधेयकों में क्या खास है और क्यों इनका विरोध हो रहा है.

1-कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020

इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. बिना किसी रुकावट दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते हैं. इसका मतलब है कि एपीएमसी (APMC) के दायरे से बाहर भी फसलों की खरीद-बिक्री संभव है. साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी. इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे.

2. मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020
देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी. किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलिया राज खत्म होगा.

3. आवश्यक वस्तु संशोधन बिल
आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्‍पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है. बहुत जरूरी होने पर ही इन पर स्‍टॉक लिमिट लगाई जाएगी. ऐसी स्थितियों में राष्‍ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियां शामिल हैं. प्रोसेसर या वैल्‍यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्‍टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.

जानिए क्या है विरोध की वजहें

किसान और व्यापारियों को इन विधेयकों से एपीएमसी मंडियां खत्म होने की आशंका है. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान अब एपीएमसी मंडियों के बाहर किसी को भी अपनी उपज बेच सकता है, जिस पर कोई शुल्क नहीं लगेगा, जबकि एपीएमसी मंडियों में कृषि उत्पादों की खरीद पर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग मंडी शुल्क व अन्य उपकर हैं. इसके चलते आढ़तियों और मंडी के कारोबारियों को डर है कि जब मंडी के बाहर बिना शुल्क का कारोबार होगा तो कोई मंडी आना नहीं चाहेगा.

किसानों को यह भी डर है नए कानून के बाद एमएसपी पर फसलों की खरीद सरकार बंद कर देगी. दरअसल, कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 में इस संबंध में कोई व्याख्या नहीं है कि मंडी के बाहर जो खरीद होगी वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे के भाव पर नहीं होगी.

किसानों को सशक्त बनायेंगे पारित कृषि विधेयक: नीति आयोग

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने लोकसभा में कृषि क्षेत्र से संबंधित दो विधेयकों के पारित होने का स्वागत करते हुए कहा कि ये किसानों को सशक्त बनायेंगे और कृषि के भविष्य पर इनका व्यापक प्रभाव पड़ेगा.

कुमार ने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए कहा, ”लोकसभा में कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 और पारित हुआ. यह एक ऐतिहासिक दिन है.” उन्होंने कहा कि ये कानून न केवल किसानों को सशक्त बनायेंगे बल्कि ये किसानों और व्यापारियों के लिये एक समान व मुक्त पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेंगे, जिससे अनुकूल प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा मिलेगा और व्यापार पारदर्शिता में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि किसान पहली बार अपने खेतों से सीधे बिक्री कर सकते हैं. उनके भीतर व्यापारियों के शोषण के जोखिम के बिना उद्यम स्वतंत्रता की भावना उत्पन्न होगी.

क्या कहते हैं एग्री एक्सपर्ट्स?
एग्री एक्सपर्ट विजय सरदाना का कहना है कि किसानों के लिए ये बिल काफी फायदेमंद हैं. उनका कहना है कि इन विधेयकों के लागू होने से किसानों की आय बढ़ेगी. बाजार से बिचौलिये दूर होंगे और किसानों को उनकी फसल का बाजिव भाव मिल सकेगा. आने वाले दिनों में ग्रामीण भारत (गांव) निवेश का हब बनेगा.

पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन ने ईटी को बताया कि कृषि विधेयकों के अमल में आने से खेती-किसानी के क्षेत्र में निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ेगा. लेकिन इसके लिए राज्य सरकारों को भी कृषि क्षेत्र में निवेश का माहौल बनाना होगा. हालांकि, देश के जिन राज्यों में एमएसपी पर खरीद होती है. किसानों को चिंता है कि आने वाले दिनों में खरीद बंद हो जाएगी. इसके अलावा राज्य सरकारों को चिंता है कि किसान मंडियों के बाहर फसल बेचेंगे, जिससे उनका राजस्व घटेगा. इसलिए विरोध हो रहा है.