नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण क्या सभी बैंकों के हित में अपने बजट में ‘बैड बैंक’ बनाने का फैसला लेने जा रही हैं? कुछ ऐसे डेवपलमेंट्स दिख रहे हैं कि बाजार में इस पुराने आइडिया की अटकलें तेज हो गईं हैं. मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने आर्थिक समीक्षा पेश करने के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि बैड बैंक के आइडिया में कुछ गुण है. सुब्रमण्यन ने कहा कि बैड बैंक बनाने के लिए कई सावधानी रखने की जरूरत है. जैसे कि बैड बैंक की स्थापना निजी क्षेत्र की अगुवाई में हो. इससे उत्पादकता बढ़ेगी.
उन्होंने कहा कि बैड बैंक के गठन से एनपीए के एकीकरण में मदद मिलेगी. जरूरी है कि बैड बैंक का क्रियान्वयन निजी क्षेत्र में करने पर विचार हो. इससे फैसले की प्रक्रिया तेज हो सकेगी.
आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) ने सितंबर-2020 से सितंबर 2021 के अपने लेटेस्ट फाइनेंसियल स्टेबिलिटि रिपोर्ट में सभी कॉमर्शियल बैंकों के GNPA (ग्रोस नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) रेशियो के 7.5% से बढ़कर 13.5% होने की उम्मीद जताई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर मैक्रोइकोनॉमिक इनवायरमेंट और बिगड़कर गंभीर दबाव वाले परिद्श्य में तब्दील होता है तो ग्रॉस एनपीए (GNPA) रेशियो बढ़कर 14.8 फीसदी हो सकता है.
एफएसआर में ये भी कहा गया है कि मौजूदा आर्थिक दबावों का परीक्षण करने से पता चला है कि चार बैंक सितंबर 2021 तक मिनिमम कैपिटल लेवल को पूरा करने में फेल हो सकते हैं. साथ ही अगर आर्थिक दबाव बना रहा था, तो ये संख्या बढ़ कर नौ हो जाएगी.
माना जा रहा है कि कोविड-19 की वजह से रिजर्व बैंक ने जो नियामकीय छूट दी हैं, उन्हें वापस लिए जाने के बाद बैंकों के डूबे कर्ज में बड़ा इजाफा हो सकता है. सरकार काफी समय से बैड बैंक के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को लोकसभा में बजट 2021-22 में इसको लेकर कुछ कदमों की घोषणा कर सकती हैं.
आर्थिक समीक्षा-2017 में सबसे पहले यह विचार आया था. समीक्षा में सार्वजनिक क्षेत्र संपत्ति पुनर्वास एजेंसी (पारा) के नाम से बैड बैंक का प्रस्ताव किया गया था. इससे पहले इसी महीने रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने संकेत दिया था कि केंद्रीय बैंक संभवत: बैड बैंक के प्रस्ताव पर विचार कर सकता है.
बैड बैंक का मतलब ऐसे वित्तीय संस्थानों से है, जो ऋणदाताओं के डूबे कर्ज को लेगा और समाधान की प्रक्रिया आगे बढ़ाएगा. ऋणदाता काफी समय से बैड बैंक की स्थापना की मांग कर रहे हैं, जिससे इस कठिन समय में उनका डूबे कर्ज का दबाव कुछ कम हो सके. इस तरह के कई बैंक पहले से दुनियाभर में काम कर रहे हैं. फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, पुर्तगाल में कई साल से बैड बैंक काम कर रहे हैं. इन बैंकों का काम बैड एसेट्स को गुड ऐसेट्स में बदलना होता है.