पंकज चतुर्वेदी
मैंने अपनी याददाश्त में किसी आत्महत्या के मामले में ईडी , सीबीआई , केन्द्र ओर राज्य सरकारों की ऐसी सक्रीय भूमिका मैंने कभी देखी नहीं . सुशांत सिंह बेहतरीन अदाकार थे , उभरते कलाकार थे ओर उनका इस तरह असामयिक निधन सभी को दुखी करता है .
पुलिस के हाथ से केस छीन कर अपने माफिक जांच करने की जिद में सी बी आई ओर ईडी को घुसाना — असल में अभिनेता की मौत से कहीं आगे का मसला हैं .
सुशांत के अपने कई मित्र थे, व्यावसायिक रिश्ते थे –बिहार पुलिस उसके खाते से निकाले पैसे का हिसाब लगा रही हैं — किस पार्टी में खर्च हुआ, किस तौर पर हुआ — मान लो वह व्यय रिया ने किया तो क्या हुआ ? जब वह उसे अपने साथ रख रहा था, जब उसके साथ अच्छे -बुरे पल बीता रहा था, एक पत्नी की तरह तो उसके खर्चे भी तो वही उठाएगा ?
जो मीडिया घराने इस खबर पर रोज चटकारे ले रहे हैं वे असल में आम लोगों की दिक्कत , दर्द, या सरोकारों से विमुख हैं ओर सत्ता के गलियारों की सोची समझी साजिश के मोहरे मात्र हैं .
यह कड़वा सच है कि जब सुशांत को अपने परिवारी की जरूरत थी तब परिवार वाले उसके ग्लेमर से उपजे सुखों में डूबे थे ओर अब उनकी असली चिंता उसी सुख-श्रंखला के बिखर जाने की है , प्रोपर्टी, पैसा कैसे उन्हें ज्याद से ज्यादा मिल जाए इसकी है