इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने करीब डेढ़ साल पहले सऊदी अरब से अरबों रुपयों का लोन लिया था। पाकिस्तान को यह लोन कुछ तय शर्तों व ब्याज दरों के साथ निश्चित समय के लिए मिला था। चरमराई आर्थिक स्थिति के कारण पाकिस्तान इसे लौटाने में अक्षम था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली छीछालेदर से खुद को बचाने के लिए उसने चीन से ऋण लेकर सऊदी अरब को देने का फैसला किया है।
पाकिस्तान की फाइनेंस मिनिस्ट्री और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने इस बात का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि सऊदी अरब का बकाया चुकाने के लिए पाकिस्तान ने चीन से $1बिलियन डॉलर का लोन लिया है।
सऊदी अरब ने साल 2018 में पाकिस्तान को $3 बिलियन का ऋण नकद सहायता के रूप में और $3.2बिलियन का लोन सालाना तेल व गैस सप्लाई जैसी अन्य सुविधाएँ मुहैया कराने के रूप में दिया था। कुल मिलाकर ये ऋण $6.2 बिलियन का था।
समझौते के अनुसार, सऊदी ने पाकिस्तान को यह कैश और तेल की सुविधा एक साल के लिए दी थी। वो भी इस शर्त के साथ कि वह या तो या तो साल के अंत तक सारा बकाया चुका दें या फिर वह उसे आगे 3 साल तक के लिए आगे बढ़ा दें।
अब चूँकि पाकिस्तान को $3 बिलियन सहायता के बदले 3.2 प्रतिशत का ब्याज देना पड़ रहा था, तो उन्होंने बिना अवधि बढ़ाए इसे पहले ही वापस कर दिया।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान को इस सहायता की पहली किश्त यानी $1बिलियन नवंबर 2018 में मिले। फिर $1 बिलियन की दूसरी किश्त 2018 के दिसंबर में मिली और तीसरी किश्त जनवरी 2019 में मिली थी।
गौरतलब है कि संयुक्त अरब अमीरात के प्रिंस जायद-अल-नाहियान कुछ समय पहले पाकिस्तान के दौरे पर गए थे। उसी समय इस ऋण को लेकर होने वाली घोषणा के कयास लगाए गए थे। इस बीच पाक अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से भी 8 अरब डॉलर की कर्ज सहायता के लिए बातचीत कर रहा था और इमरान खान स्वयं भी सऊदी दो बार जाकर उनसे $6.2 बिलियन का ऋण माँग कर चुके थे।
बता दें, इस खबर के अलावा पाकिस्तान और सऊदी अरब के आपसी संबंधों को लेकर एक अन्य बड़ी खबर आई है। दरअसल, कश्मीर मुद्दे में अरब का समर्थन न पाकर विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक न्यूज चैनल पर इस्लामिक सहयोग संगठन को धमकी दी है।
पाक विदेश मंत्री कुरैशी ने सऊदी अरब के नेतृत्व वाले इस्लामिक सहयोग संगठन यानी ओआईसी को कहा कि वह कश्मीर पर अपने विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक बुलाने में देरी करना बंद करे।
पाकिस्तान के एक लोकल न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में विदेश मंत्री कुरैशी ने कहा, “मैं एक बार फिर से पूरे सम्मान के साथ इस्लामिक सहयोग संगठन से कहना चाहता हूँ कि विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक हमारी अपेक्षा है। अगर आप इसे बुला नहीं सकते हैं तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान से यह कहने के लिए बाध्य हो जाऊँगा कि वह ऐसे इस्लामिक देशों की बैठक बुलाएँ, जो कश्मीर के मुद्दे पर हमारे साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं और जो दबाए गए कश्मिरियों का साथ देते हैं।”
टीवी कार्यक्रम में कुरैशी ने कहा कि अगर ओआईसी विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक को बुलाने में विफल रहता है, तो पाकिस्तान ओआईसी के बाहर एक सत्र के लिए जाने को तैयार होगा। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अब और इंतजार नहीं कर सकता।
बता दें कि 57 मुस्लिम देशों के संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने के लिए लगातार दबाव डाल रहा है। संयुक्त राष्ट्र के बाद ओआईसी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा संगठन है।