हांगकांग। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग देश में कोरोना महामारी के प्रसार और उसके बाद आई बड़ी आर्थिक मंदी के कारण अपनी ही पार्टी पर पकड़ कमजोर हुई है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के साथ हिंसक झड़प एक मजबूत नेता के रूप में शी चिनफिंग को नायक के रूप में पेश करने की साजिश का हिस्सा प्रतीत होती है। राज्य नियंत्रित मीडिया द्वारा बनाई गई छवि के कारण ऊपर से चीन के एक निर्णायक नेता शी जिनपिंग के तहत एक मजबूत नेता दिखाई देते हैं, लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवन घटी में हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कमांडिंग ऑफिसर समेत तीन भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए। वहीं दूसरी तरफ इसमें चीनी सेना के भी पांच सैनिकों के मारे जाने और 11 जवानों के गंभीर तौर पर घायल होने की सूचना है। चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के वरिष्ठ पत्रकार ने सोशल साइट पर यह जानकारी दी है कि चीनी पक्ष को भी भारी क्षति उठानी पड़ी है।
कोरोना ने शी जिनपिंग की चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के ऊपर पकड़ की सच्चाई को उजागर कर दिया है। हाल के समय में चीन के आक्रामक व्यवहार का विश्लेषण करते हुए चीनी मामलों के विशेषज्ञ और China Neican के सह संस्थापक एडम नी ने कहा कि उन्होंने कहा कि चीन को कुछ लोग दुर्भावनापूर्ण तरीके से अखंड देश के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पूरी तरह दुर्भावना से ग्रस्त है। इसके नेता विश्व वर्चस्व कायम करने पर जोर देते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि चीन टुकड़ों में बंटा हुआ है। कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ही आपस में ही विरोधाभासी हैं। वे बस कठिन समय में एक दूसरे को जबरदस्ती पकड़े हुए हैं।
छवि बनाने के लिए सोशल मीडिया पर सक्रिय हुए चीनी नेता
सेंटर फॉर स्ट्रेटजिक में चीनी इकोनॉमिक्स और बिजनेस के विशेषज्ञ स्कॉर्ट कैनेडी ने कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने महामारी के कारण देश की छवि को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सभी नेताओं को सक्रिय होने का आदेश दिया है। इसके कारण चीनी नेता इन दिनों बड़ी संख्या में सोशल मीडिया में चीन के हितों की रक्षा करते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चीन ने जिस विकास दर की बात की है, वह कई मामलों में विश्वास न करने योग्य है।
कोरोना से चीन को अरबों का नुकसान
कैनेडी ने अनुमान लगाया कि COVID-19 की वजह से चीन को 60 मिलियन डॉलर से लेकर 100 मिलियन डॉलर के बीच में नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमानों के अनुसार, 2020 के लिए चीन का विकास दर केवल 1.2 फीसद होगा। चीनी कम्युनिस्ट पॉर्टी ने जो लक्ष्य निर्धारित किया है वह सही नहीं है। बेरोजगारी सभी व्यावसायिक क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है और 15 फीसद तक पहुंच सकती है, जो कि 5.5 फीसद बेरोजगारी के स्तर से बहुत दूर है जो चीन 2020 तक के शुरू में लक्ष्य बनाया गया था। उन्होंने कहा कि चीनी कम्युुनिस्ट पार्टी के लोगों को सही आंकडों को छिपाने में महारत हासिल है।
ग्लोबल ताइवान इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो जे माइकल कोल ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 3000 नेताओं का कुल पूंजी 470 बिलियन यूएस डॉलर से कहीं अधिक है। ये लोग स्वार्थी, लालची और अपने लाभ से मतलब रखने वाले हैं। कोल के अनुमान के अनुसार, प्रत्येक एनपीसी प्रतिनिधि की औसतन पूंजी लगभग 160 मिलियन अमरीकी डालर होगी। यह शायद “चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद” की वास्तविक सच्चाई है, जहां कुलीन अमीर वर्ग सत्ता से चिपके हुआ है।