नई दिल्ली। कोरोना वायरस (Coronavirus) से जूझ रहे भारत पर अम्फान (Amphan) तूफान कहर बनकर टूटा है. देश महामारी और प्राकृतिक आपदा से जूझ ही रहा था कि चीन ने बॉर्डर पर टेंशन बढ़ा दी. भारत ने इसका भी माकूल जवाब दिया लेकिन इस बीच भारत के सबसे अच्छे दोस्त माने जाने वाले नेपाल ने अपने सुर बदल लिए हैं.
नेपाल ने अपने देश का विवादित नक्शा जारी किया है. नए नक्शे में नेपाल ने भारत के तीन इलाकों पर अपना दावा जताया है. ये नक्शा है उत्तराखंड का लिपुलेख, कालापानी और लिंपिया-धुरा. नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने कहा है कि वो तीनों इलाकों को किसी भी कीमत पर वापस लेकर रहेंगे और अगर भारत इससे नाराज भी हो जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता.
भारत ने नेपाल की इस हरकत का विरोध किया है और कहा है कि ऐसे कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं हैं जो ये साबित करते हों कि तीनों इलाकों पर नेपाल का अधिकार है. आखिर नेपाल ये सब आखिर कर क्यों रहा है. इसका सीधा सा जवाब है कि चीन नेपाल को ऐसा करने के लिए उकसा रहा है. ऐसे में सवाल ये कि क्या भारत-नेपाल के बीच ‘टेंशन’ का कोई चाइनीज कनेक्शन है? क्या नेपाल का नया ‘नक्शा’ मेड इन चाइना?
सालों से भारत का करीबी मित्र रहे नेपाल ने अब अपने सुर बदल लिए हैं. नेपाल के प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत से आने वाला कोरोना वायरस संक्रमण चीन और इटली से आने वाले संक्रमण से ‘‘अधिक घातक’’ है. उन्होंने साथ ही देश में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के लिए भारत से अवैध तरीके से प्रवेश करने वालों को जिम्मेदार ठहराया.
दरअसल, चीन इस वक्त कोरोना की वजह से दुनिया के निशाने पर है. सारी दुनिया चीन से जवाब मांग रही है. अमेरिका और भारत जैसे देशों से विवाद करके चीन दुनिया का ध्यान बंटाना चाहता है. ऐसे में माना ये जा रहा है कि नेपाल के इस बदले सुर के पीछे कहीं न कहीं चीन का हाथ है.