नई दिल्ली। भले ही कोरोना वायरस (Coronavirus) और इसके संक्रमण को लेकर चीन अब तक पूरी दुनिया के सामने झूठ बोलता आया हो. लेकिन मानवता के खिलाफ सबसे बड़ा झूठ बोलने वाले चीन के अब चुप होने का वक्त आ गया है. क्योंकि चीन ने माना लिया है कि उसने दूनिया में फैले कोरोना वायरस के शुरुआती सैंपल्स को नष्ट कर दिया था. अमेरिका इस बात का आरोप लगाता रहा है कि चीन ने ऐसा इसलिए किया ताकि दुनिया यह पता न लगा सके कि वायरस कहां से फैलना शुरू हुआ.
जिस दिन से दुनिया में कोरोना वायरस ने अपने पांव पसारे और लोगों को घुट-घुटकर मरने पर मजबूर कर दिया, उसी दिन से कई देश इस सवाल को लेकर चीन पर आरोप लगाते रहे हैं कि क्या चीन ने जानबूझकर लाखों लोगों को मरने दिया? आखिर क्यों चीन संक्रमण की चेन में सबसे पहला देश होने के बावजूद कोरोना वायरस के प्रभाव से तेजी से उभरने में कामयाब रहा? तो आपको बता दें कि चीन और कोरोना वायरस के कनेक्शन से जुड़े सभी अनसुलझे सवालों का जवाब आखिरकार मिल गया है.
चाइना ने माना है कि उसने देश में फैले कोरोना वायरस के शुरुआती सैंपल्स को नष्ट कर दिया था. अमेरिका इस बात का आरोप लगाता रहा है कि चीन ने ऐसा इसलिए किया ताकि दुनिया यह पता न लगा सके कि वायरस कहां से फैलना शुरू हुआ.
कोरोना वायरस को लेकर चीन को शुरुआत से आलोचना और सवालों का सामना करना पड़ रहा है. अब एक स्वास्थ्य अधिकारी के ताजा बयान से एक बार फिर सवालों की झड़ी लग गई है. इस अधिकारी ने खुलासा किया है कि देश में कोरोना वायरस के शुरुआती सैंपल्स को नष्ट कर दिया गया था. उन्होंने कहा है कि खतरनाक वायरस को फैलने से बायोसेफ्टी को ध्यान में रखते हुए एक्सपर्ट्स की राय और रीसर्च के बाद यह फैसला किया गया था.’
अमेरिका चीन पर कोरोना वायरस के फैलने को लेकर लगातार आरोप लगाता रहा है अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो पहले भी आरोप लगा चुके हैं कि देश की कम्यूनिस्ट पार्टी पर वैश्विक महामारी के हालात में अंतरराष्ट्रीय पारदर्शिता को ताक पर रख रही है. उन्होंने ये आरोप लगाया है कि चीन ने वायरस के सैंपल नष्ट कर दिए जिस कारण वह कहां से पैदा हुआ यह पता लगाना मुश्किल हो गया है.
हालांकि, चीन के मुताबिक पॉम्पियो का बयान गुमराह करने वाला है. चीन ने दावा किया है कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एहतियात के तौर पर सैंपल्स को नष्ट किया गया था. अगर किसी लैब में वायरस को स्टोर करने के लिए जरूरी कंडीशन्स नहीं हैं तो उन्हें वहीं उसे नष्ट कर देना चाहिए या ऐसे प्रफेशनल स्टोरेज इंस्टिट्यूशन्स में भेज देना चाहिए जहां ऐसी फसिलटी हो, ऐसे नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है.
चीन के एक मीडिया आउटलेट ने दावा किया है कि दिसंबर के अंत में किए गए टेस्ट्स में SARS जैसे घातक वायरस की आशंका सामने आई थी. इसके बाद ये सैंपल नष्ट किए गए थे. इस रिपोर्ट के मुताबिक तब तक चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस बारे में सूचना नहीं दी थी.