पालघर। महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. पालघर की मॉब लिंचिंग की वारदात को लेकर उद्धव सरकार पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हमलावर है. महाराष्ट्र पुलिस के मुताबिक, इस वारदात के पीछे कोई मजहबी रंग नहीं हैं. चोर-डाकू समझकर ग्रामीणों ने दो साधु समेत तीन लोगों को मार डाला.
दरअसल, पालघर जिले में जिस जगह मॉब लिंचिंग की ये वारदात हुई है, वहां लॉकडाउन के बाद से लोग दिन-रात लगातार खुद पहरेदारी कर रहे हैं. इलाके में चोर, डाकुओं के घूमने की अफवाह थी. बीते गुरुवार को भी मॉब लिचिंग के घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर एक गांव में ग्रामीणों ने शक के आधार पर कुछ लोगों पर हमला किया था.
पुलिस के मुताबिक, साधुओं की मॉब लिंचिंग से तीन दिन पहले एक डॉक्टर और तीन पुलिसवालों के साथ थाने के असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर आनंद काले पर ग्रामीणों ने चोर-डाकू समझ कर हमला बोल दिया था. इन लोगों को पुलिस की टीम ने बचा लिया था.
इसके बाद पुलिस की ओर से लोगों से चोर और डाकुओं को लेकर उड़ी अफवाह पर ध्यान न देने की अपील की गई थी. इस बीच 16-17 अप्रैल की दरमियानी रात को दो साधु अपनी कार से एक गांव में पहुंच गए. महाराष्ट्र सरकार के मुताबिक, ग्रामीणों ने शक के आधार पर दोनों साधुओं और उनके ड्राइवर को मार डाला. ग्रामीणों ने उन लोगों को चोर-डाकू समझ लिया था.
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा, ‘मॉब लिंचिंग की जो घटना हुई है, वहां पर तीन लोग बिना इजाजत के बाहर के स्टेट में जा रहे थे. उन्होंने मेन रोड से ना जाकर ग्रामीण सड़क से जाने की कोशिश की, वहीं पर उनको पकड़ा गया. गांव वालों को लगा कि शायद चोरी करने आए हैं, इसकी वजह से हमला हुआ है और तीन लोगों की मौत हुई.’
पालघर पुलिस को शक है कि चूंकि ये लोग मुख्य सड़क से ना जाकर ग्रामीण रास्ते से जा रहे थे, इसलिए अफवाह की वजह से गांव के लोगों ने उन्हें डाकू समझ लिया होगा. करीब 200 ग्रामीणों की भीड़ ने पहले उनकी गाड़ी पर पथराव किया और फिर गाड़ी से खींचकर उन्हें पीटना शुरू कर दिया.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पथराव के दौरान ही ड्राइवर ने किसी तरह पुलिस को मामले की जानकारी दे दी थी, लेकिन हिंसक भीड़ के आगे पुलिस भी बेबस नजर आई. कासा थाने के पुलिसवालों के अलावा इस हमले में जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी समेत पांच पुलिसवाले भी जख्मी हुए हैं.