शेखर पण्डित
लखनऊ। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) से सटे पालघर (Palghar) में रविवार को ऐसी घटना घटी जिसने सभी को अंदर तक झकझोर कर रख दिया. महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं समेत तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या (Mob Lynching) कर दी गई. लॉकडाउन (Lockdown) के बीच दोनों साधु अपने गुरु के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सूरत जा रहे थे. रास्ते में पालघर के कासा पुलिस स्टेशन के गडचिंचले गांव में लोगों ने साधुओं और उनके ड्राइवर को बुरी तरह पीटा और पुलिस तमाशा देखती रही.
इस दिलदहला देने वाली घटना पर कुछ सवाल खड़े होते हैं…
पहला सवाल
– पुलिस की मौजूदगी में कैसे हुई मॉब लिंचिंग?
दूसरा सवाल
– साधुओं की बर्बर हत्या का जिम्मेदार कौन?
तीसरा सवाल
– आखिर किसने ‘अफवाह’ फैलाकर ली साधुओं की जान?
चौथा सवाल
– लॉकडाउन के बावजूद सैकड़ों लोग कैसे जमा हुए?
पांचवां सवाल
– टुकड़े-टुकड़े गैंग के हमदर्द साधुओं की हत्या पर चुप क्यों?
इस वारदात के बीच कई सुलगते सवालों के जवाबों का इंतजार है. देश कोरोना संकट से जूझ रहा है. लेकिन पालघर में कोरोना के साथ साथ अफवाह का डबल अटैक है. बच्चा चोरी की अफवाह यहां ऐसी फैली कि तीन जिंदगियां खत्म कर दी गईं. हालांकि पुलिस अब एक्शन में है. वारदात में अब तक 101 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जबकि 9 नाबालिग आरोपियों को जुवेनाइल शेल्टर होम भेजा गया है. लेकिन मामला तूल पकड़ चुका है और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस हाईलेवल जांच की मांग कर रहे हैं
वारदात की अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कड़े शब्दों में निंदा की है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से दोनों संतों की हत्या की जांच और दोषियों के साथ उन पुलिस वालों पर भी कड़ी कार्रवाई की मांग की जो वारदात के वक्त तमाशा देखते रहे थे.
घटना के बाद एक्शन में आई सरकार
दूसरी ओर राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने ट्वीट कर बताया कि हमला करनेवाले और जिनकी इस हमले में जान गई दोनों अलग-अलग धर्मों से नहीं हैं. पुलिस को बेवजह समाज भेद-भाव पैदा करने वालों पर कठोर कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं.
सियासत गर्म है. साधु-संतों का गुस्सा भड़का हुआ है. तो दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार भी ये दिखाने बताने की कोशिश में है कि दोषी बख्शे नहीं जाएंगे.