वाशिंगटन। एक समय था जब सात देशों का समूह G7 वैश्विक जीडीपी (GDP) के 46 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता था, लेकिन आज कोरोना (Coronavirus) से दुनिया भर में हुई मौतों में से 66 फीसदी उसके हिस्से में हैं.
सात देशों के इस समूह के 6 सदस्य महामारी की सबसे ज्यादा मार झेल रहे हैं. जापान में 9,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. जर्मनी में 4,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं ब्रिटेन में यह आंकड़ा 13,000 पहुंच गया है. इसी तरह फ्रांस में करीब 17,000, इटली में 22,000 और अमेरिका में 33,000 के आसपास मौतें हुई हैं.
ये सभी देश कोरोना के खौफ को खत्म करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और वहां चीन, वायरस की थमती रफ्तार का जश्न मना रहा है. चीनी सरकार ने लॉकडाउन जैसे कड़े उपायों से लोगों को आजाद कर दिया है. चीन की इस खुशी और बेफिक्री को देखकर अब अमेरिका के अलावा, G7 के अन्य देश भी ड्रैगन के प्रति कठोर हो रहे हैं.
चीन के साथ ब्रिटेन के रिश्तों पर असर
ब्रिटेन और फ्रांस ने चीन से जवाब मांगा है कि आखिर कोरोना वुहान से पूरी दुनिया में कैसे फैल गया? ब्रिटेन के कार्यवाहक प्रधानमंत्री डोमनिक राब का कहना है कि अब चीन से कठिन सवाल पूछने का समय आ गया है, जैसे कि कोरोना वायरस कहां से और कैसे आया? G7 देशों की टेलीफोन वार्ता के बाद प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राब ने यहां तक कह दिया कि इस महामारी की वजह से चीन के साथ ब्रिटेन के रिश्तों पर असर पड़ सकता है. वहीं, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो ने चीन पर हमलावर होते हुए कहा कि चीन ने इस संकट का अच्छी तरह से सामना नहीं किया. ऐसी कई चीजें हुई हैं, जिनके बारे में किसी को कुछ पता नहीं है.
नई आशंकाओं को जन्म
कोरोना के फैलाव में चीन का हाथ होने के आरोपों पर कुछ देश ऐसे भी हैं, जो ज्यादा मुखर होकर कुछ कहना नहीं चाहते, लेकिन अमेरिका शुरुआत से ही अपने इरादे स्पष्ट करता आ रहा है. उसने साफ कर दिया है कि चीन को सवालों के जवाब देने होंगे. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि चीन को यह साफ करना होगा कि वुहान से निकलकर कोरोना वायरस पूरी दुनिया में कैसे फैला? हालांकि, पोम्पिओ ने यह कहते हुए कई नई आशंकाओं को जन्म दे दिया कि ‘हम जानते थे कि चीन ऐसे किसी प्रोग्राम पर काम कर रहा है’. ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि क्या वाशिंगटन वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में चीनी वैज्ञानिकों द्वारा अमानवीय चिकित्सा प्रयोगों से परिचित था? और यदि था, तो उसने उन्हें रोकने के लिया क्या किया?
वुहान में शोध के लिए वित्तीय अनुदान देता रहा अमेरिका
हाल ही में यह खुलासा हुआ था कि अमेरिका वुहान में ऐसे तथाकथित शोधों के लिए चीन को वित्तीय अनुदान देता रहा है. हमारे सहयोगी चैनल WION की एक रिपोर्ट बताती है कि अमेरिकी सरकार ने कोरोना वायरस पर जांच के लिए चीन की प्रयोगशाला को $3.7 मिलियन का अनुदान दिया था. वर्षों से, अमेरिकी करदाता अनजाने में चीन की इस प्रयोगशाला में क्रूर प्रयोगों को वित्तपोषित कर रहे हैं. अमेरिकी सरकारी एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ इस चीनी लैब को एक भागीदार के रूप में सूचीबद्ध करती है. अब यदि अमेरिका चाहता है कि चीन उसके सवालों का जवाब दे तो उसे भी दुनिया को जवाब देना होगा कि क्या उसे इन प्रयोगों के बारे में पता था और अगर हां तो सबकुछ जानते हुए भी उसने क्या कदम उठाए?