‘शरद पवार हिंदू विरोधी, किसी भी कार्यक्रम में मत बुलाओ’ – विट्ठल भक्तों के वारकरी संप्रदाय ने लिया फैसला

विट्ठल भक्तों की प्रमुख संस्था राष्ट्रीय वारकरी परिषद ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार को हिन्दू विरोधी करार दे दिया है। वारकरी परिषद ने उनका बहिष्कार करने का फैसला किया है। परिषद प्रमुख वक्ते महाराज ने वारकरी समुदाय के किसी भी कार्यक्रम में शरद पवार को न आमंत्रित करने की बात भी कही।

राष्ट्रीय वारकरी सम्प्रदाय के वक्ते महाराज ने शरद पवार पर हमेशा से हिन्दू विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पवार कभी रामायण पर कटाक्ष करते हैं तो कभी उसको अप्रासंगिक बताते हैं। और न ही वे पांडुरंग की पूजा में शामिल होते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पवार नास्तिक मंडलियों के साथ हैं। और ऐसे में अगर पैसों के लालच में उन्हें कोई कार्यक्रमों में बुलाता है तो यह अधार्मिक ही है।

Dr.Jitendra Awhad

@Awhadspeaks

वारकरी प्रथा परंपरा सुरु झाली ती इथल्या कर्म कांडा विरुद्ध पांडुरंग भक्ती मध्ये तल्लीन झालेले संत ह्याचेच प्रभोधन करत होते आणि कट्टर मनुवादी त्याला विरोध
हे वारकरी परिषद वाले कोण आहेत ह्याची ओळख द्यायला नको http://Lokmat.com  https://www.lokmat.com/maharashtra/sharad-pawar-anti-hindu-dont-call-them-program-resolution-national-warkari-council/ 

Sharad Pawar is anti-Hindu; Don't call them the program, the resolution of the National Warkari Council | शरद पवार हिंदूविरोधी; त्यांना कार्यक्रमाला बोलावू नका, राष्ट्रीय वारकरी परिषदेनं काढलं पत्रक | Lokmat.com

शरद पवार हिंदूविरोधी; त्यांना कार्यक्रमाला बोलावू नका, राष्ट्रीय वारकरी परिषदेनं काढलं पत्रक

शरद पवार हे हिंदूविरोधी असल्याचा खळबळजनक दावा राष्ट्रीय वारकरी परिषदेनं केला आहे.

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बताते चलें कि महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे, मराठवाड़ा तथा विदर्भ क्षेत्र में विट्ठल भगवान पर आस्था रखने वाले वारकरी सम्प्रदाय का अच्छा खासा प्रभाव है। राष्ट्रीय वारकरी परिषद के वक्ते महाराज को 2018 में महाराष्ट्र सरकार ने ज्ञानबा तुकाराम पुरस्कार से भी सम्मानित किया था। इनका हिन्दू संगठनों पर काफी प्रभाव माना जाता है।

क्या है वारकरी संप्रदाय

वारकरी भगवान विट्ठल (श्रीकृष्ण)- रुक्मिणी पर आस्था रखते हैं। इस सम्प्रदाय को मानने वाले सोलापुर के पंढरपुर में स्थापित भगवान विट्ठल की परिक्रमा करते हैं तथा भजन कीर्तन करते हुए संयमित जीवन शैली में विश्वास रखने वाले हैं। यह सम्प्रदाय नाम स्मरण चिंतन अदि उपासना पद्धति को फॉलो करता है। इस सम्प्रदाय के प्रवर्तकों में संत ज्ञानेश्वर का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

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