नई दिल्ली। संसद के उच्च सदन राज्यसभा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार (फरवरी 04, 2020) को बताया कि कोटा के जिस अस्पताल में पिछले साल 100 से अधिक नवजातों की जान गई, उस अस्पताल का दौरा करने पर केंद्रीय दल ने पाया कि वहाँ रोगियों के लिए न ही पर्याप्त संख्या में बिस्तर थे और न ही अस्पताल में कई आवश्यक उपकरण काम कर रहे थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह जानकारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्य सभा को दी।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष दिसंबर में कोटा के जेके लोन अस्पताल में सौ बच्चों की मौत से खासा बवाल मचा था और इसके चलते राजस्थान सरकार की काफी फजीहत हुई थी। विपक्ष ही नहीं बल्कि खुद राज्य सरकार के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इस मामले में जिम्मेदारी तय करने की बात कही थी।
राज्य सभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि केंद्रीय दल द्वारा पेश रिपोर्ट के अनुसार, कोटा के जेके लोन अस्पताल में 70 नवजातों की मौत नवजात आईसीयू (Neonatal Intensive Care Unit) में और 30 की मौत बाल चिकित्सा आईसीयू (Paediatric Intensive Care Unit) में हुई। रिपोर्ट के अनुसार, जान गँवाने वाले ज्यादातर नवजातों का वजन जन्म के समय कम था। इनमें से 63% मौत अस्पताल में भर्ती किए जाने के 24 घंटे से भी कम समय में हुई।
तय मानकों के अनुसार नहीं थी अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएँ
अश्विनी चौबे ने कहा कि केंद्रीय दल की रिपोर्ट के अनुसार, मौत के ज्यादातर मामले बूंदी के जिला अस्पताल तथा बरन के जिला अस्पताल से रेफर किए गए थे। राज्य सभा में उन्होंने बताया कि केंद्रीय दल की रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल में नवजात आईसीयू तथा बाल चिकित्सा आईसीयू में बिस्तर तथा नर्स का अनुपात 2:1 के मानक अनुपात की तुलना में क्रमश: 10:1 और 6:1 का पाया गया था। साथ ही उन्होंने बताया कि केंद्रीय दल की रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि अस्पताल में कई उपकरण काम नहीं कर रहे थे तथा उपकरणों के रख-रखाव संबंधी कोई नीति भी नहीं थी।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने बताया कि इस मामले में केंद्रीय दल ने उप जिला स्तर पर प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को मजबूत बनाने के अलावा, बुनियादी अवसंरचना को मजबूत करने, पर्याप्त कार्यबल ओर मानक क्लीनिकल प्रोटोकॉल का उपयोग करने की सिफारिश की है।