नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections 2020) के लिए मतदान में चंद दिन बचे हैं. सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने में जुटे हैं और ताबड़-तोड़ रैलियां कर रहे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल लगातार रोड शो कर रहे हैं तो भारतीय जनता पार्टी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत अपने सभी दिग्गजों को मैदान में उतार दिया है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी भी चुनाव प्रचार के मैदान में कूद चुके हैं.
आम आदमी पार्टी आज अपना मेनिफेस्टो जारी करेगी जबकि बीजेपी और कांग्रेस अपना घोषणा पत्र पहले जारी कर चुकी हैं. दिल्ली में इन्हीं तीन पार्टियों के बीच मुख्य मुकाबला है. ये तीनों पार्टियां मुफ्त बिजली-पानी मुहैया कराने सहित कई मुद्दों को प्राथमिकता के तौर पर प्रचारित कर रही हैं.
इस बीच, दिल्ली की जनता ने अपना मेनिफेस्टो बनाया है जिनमें 10 सबसे बड़े मुद्दे शामिल हैं. आजतक ने दिल्ली की जनता के सामने 30 सबसे बड़े मुद्दे रखे थे. हजारों लोगों ने इसमें हिस्सा लेकर 10 सबसे बड़े मुद्दों को चुना है. दिल्ली की जनता ने आजतक के मेनिफेस्टो के जरिए राजनीतिक दलों के सामने 10 सबसे बड़े मुद्दे रखे हैं.
दिल्ली की जनता ने 10 सबसे बड़े मुद्दे चुने जो उनकी प्राथमिकता को दर्शाते हैं. इनमें दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने, साफ पानी, निजी स्कूलों की मनमाने तरीके से लगाई जाने वाली फीस पर रोक लगाने, यमुना नदी की सफाई, मुफ्त इलाज, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा, मुफ्त बिजली, पार्किंग, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) जैसे मसले शामिल हैं.
1.दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाया जाए
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बड़े महानगरों में एक है जहां देश भर के लोग रहते हैं. लेकिन दिल्ली की हवा लगातार खराब होती जा रही है और प्रदूषण विकराल रूप ले चुका है. प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली में तीनों पार्टियां अपनी प्राथमिकता के तौर पर गिना रही हैं. दिल्ली की जनता भी प्रदूषण से बहुत परेशान है. वातावरण को लेकर कई बार हालात इतने बिगड़ गए कि दिल्ली सरकार को स्कूलों में छुट्टियां तक करनी पड़ गई. इसी लिहाज से दिल्ली की जनता ने अपने मेनिफेस्टो में प्रदूषण की समस्या को प्रमुख तौर पर रखा है.
2. हर घर तक स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति हो
आजादी के 70 साल बाद भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में रहने वाले लोगों को पीने का साफ पानी तक मयस्सर नहीं है. साफ पानी तो छोड़िये कई इलाकों में तो पानी की सप्लाई तक के इंतजाम नहीं हैं और आए दिन पानी को लेकर होने वाली तकरार सुर्खियों में रहती है. जिन इलाकों में पानी की सप्लाई है वहां इसकी स्वच्छता को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं. लोग सप्लाई में आने वाले गंदे पानी की शिकायत करते हुए मिल जाते हैं. इसलिए जनता की घोषणा पत्र में पानी एक प्रमुख मुद्दे के तौर पर शामिल है.
3. प्राइवेट स्कूलों की फीस पर नकेल कसी जाए
दिल्ली उन महानगरों में शामिल है, जहां देशभर से आए लोग रहते हैं. ये लोग विभिन्न पेशों से जुड़े हुए हैं. लेकिन एक बड़ी आबादी है जो महंगे स्कूलों को अफोर्ड करने में असक्षम है. सरकारी स्कूलों की कमी और उनकी बदहाल हालत की वजह से सभी बच्चों का दाखिला वहां मुमकिन नहीं है. इसलिए लोग प्रवाइवेट स्कूलों का रुख करने को मजबूर होते हैं, लेकिन वहां भी उन्हें महंगी फीस की मार झेलनी पड़ती है. सरकार से कई तरह की रियायत हासिल करने वाले प्राइवेट स्कूलों की महंगी फीस पर लगाम लगाना आवश्यक है. ये बात मेनिफेस्टो में शामिल होने से साबित होती है. जनता चाहती है कि दिल्ली में जिसकी भी सरकार बने वो निजी स्कूलों की फीस पर रोक लगाए.
4. यमुना की सफाई हो, रिवर कॉरिडोर बनाया जाए
भारत में नदियां विकास का जरिया होने के साथ ही धार्मिक और संस्कृति की भी हिस्सा हैं. लेकिन दिल्ली से होकर बहने वाली यमुना नदी देश की सबसे प्रदूषित नदियों में शुमार है. किनारे से गुजरने पर यमुना, नदी कम गंदा नाला ज्यादा नजर आती है. इसका पानी बिल्कुल काला दिखता है जिसमें से बदबू आती रहती है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में यमुना नदी की सफाई भी मुद्दा बना है जबकि केंद्र सरकार ने नदियों की सफाई के लिए अलग से भारी-भरकम योजना शुरू की है. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए यमुना नदी की सफाई भी दिल्ली के चुनावों में अहम रूप से शामिल है.
दुनिया के कई देशों में या तो फ्री इलाज की व्यवस्था है या मेडिकल क्षेत्र के लिए सरकारें अपने जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा खर्च करती हैं ताकि उनके नागरिकों के लिए किफायती इलाज मुहैया हो सके. आखिरकार नागरिक ही देश की पूंजी होते हैं. वहीं अपने देश में दिन-ब-दिन इलाज महंगा होता जा रहा है. इस लिहाज से दिल्ली में रहने वाली एक बड़ी आबादी के लिए इलाज करना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए दिल्ली में रहने वाले लोगों की मांग है कि सबके लिए इलाज फ्री होना चाहिए.
6. दिल्ली में NPR और NRC लागू किया जाए
नागरिकता संसोधन कानून (CAA) को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन चल रहा है. इस बीच, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का मुद्दा भी सुर्खियों में है. एनआरसी देश में रह रहे नागरिकों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए है. वहीं जनगणना से पहले देश राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की प्रक्रिया से भी गुजरता है. दिल्ली की जनता ने इन दोनों मुद्दों पर अपनी राय मेनिफेस्टो में जाहिर किया है कि ये होना चाहिए या नहीं.
7. 60 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को पेंशन मिले
माना जाता है कि देश की आबादी में एक बड़ी हिस्सेदारी युवाओं की है, लेकिन 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों की भी बड़ी संख्या है जिन्हें आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ता है. अधिक उम्र होने की वजह से बुजुर्गों के लिए रोजी-रोटी कमाना मुश्किल होता है. इसलिए दिल्लीवासियों की एक चिंता 60 साल से अधिक उम्र वाले सभी लोग भी हैं जिनके लिए पेंशन की दरकार है.
8. फुटपाथ पर से अतिक्रमण, पार्किंग हटाई जाए
दिल्ली में फुटपाथ पर अतिक्रमण और पार्किंग एक बड़ी समस्या है. इसकी वजह से पैदल चलने वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. दिल्ली की सड़कें बहुत व्यस्त होती हैं और उनपर वाहनों की आवाजाही लगातार बनी रहती है. पैदल यात्रियों के लिए रास्ता सुगम हो इसके लिए जरूरी है कि फुटपाथ से अतिक्रमण को हटाया जाए. फुटपाथ पर लोग गाड़ियां भी पार्क कर देते हैं. इसलिए जरूरी है कि गाड़ियों के लिए पार्किंग की उचित व्यवस्था हो ताकि फुटपाथ खाली रहें. दिल्ली की जनता ने अपने मेनिफेस्टो में इसे मुद्दे को भी शामिल किया है.
9. दिल्ली में 300 यूनिट तक बिजली फ्री हो
मौजूदा दिल्ली सरकार ने 200 यूनिट तक बिजली फ्री कर दी है, लेकिन अब मांग उठने लगी है कि इस सीमा को बढ़ाया जाए. दिल्ली चुनाव में उतरीं सभी सियासी पार्टियों ने भी फ्री बिजली को अपने मेनिफेस्टो में शामिल किया है. जनता ने भी आजतक के जरिये अपने मेनिफेस्टो में 300 यूनिट तक बिजली फ्री करने की मांग रखी है.
10. दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग लंबे समय से उठती रही है. मौजूदा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करते रहे हैं. उनकी दलील है कि दिल्ली पूर्ण राज्य होगी तो कई समस्याओं का समाधान करना दिल्ली सरकार के लिए आसान होगा. लेकिन केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से कई मुद्दे ऐसे होते हैं जिसके लिए केंद्र का मुंह देखना पड़ता है.