नई दिल्ली। महाराष्ट्र की सियासत में शनिवार सुबह बड़ा उलटफेर हुआ। जिस एनसीपी ने कॉन्ग्रेस और शिवसेना के साथ सरकार बनाने की बात कही थी, उसका एक धड़ा भाजपा से जा मिला। जिस भाजपा ने सबसे ज्यादा सीटें होने के बावजूद सरकार बनाने का दावा तक नहीं पेश किया था, रातोंरात बदले समीकरण में वो सत्ता में वापस लौटी और देवेंद्र फडणवीस के सर फिर से महाराष्ट्र का ताज सजा। यह सब शुक्रवार (नवंबर 23, 2019) की रात शुरू हुआ। शिवसेना सांसद संजय राउत का दावा था कि अजित पवार उस बैठक में अलग-अलग से लग रहे थे और किसी से नज़रें नहीं मिला पा रहे थे। खैर, सुबह महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का भी अंत हो गया। आइए, देखते हैं कब, क्या, कैसे हुआ।
शुक्रवार देर रात क्या हुआ?
शुक्रवार को एनसीपी, कॉन्ग्रेस और शिवसेना की संयुक्त बैठक हुई थी। बैठक से निकल कर एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने कहा था कि गठबंधन के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे होंगे। लेकिन, देर रात को ही देवेंद्र फडणवीस सरकार बनाने का दावा पेश करने पहुँचे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को एनसीपी का समर्थन पत्र सौंपा। फडणवीस ने 173 विधायकों के समर्थन का दावा किया। एनसीपी के 54 और 14 अन्य निर्दलीय विधायकों के समर्थन के बाद फडणवीस ने सरकार बनाने का दावा पेश किया।
हालाँकि, रात में किसी को इसकी भनक नहीं लगी। सब यही सोच रहे थे कि सुबह होते ही कॉन्ग्रेस और एनसीपी के समर्थन से शिवसेना सरकार बनाने का दावा पेश करेगी। रात के पौने 12 बजे एनसीपी विधायक दल के नेता अजित पवार भी राज्यपाल के पास पहुँच गए और उन्होंने भाजपा को समर्थन देने सम्बन्धी विधायकों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र सौंपा। अजित पवार के इस पत्र के बाद ही राज्यपाल संतुष्ट हुए कि भाजपा के पास बहुमत का जादुई आँकड़ा है। भाजपा ने 170 से भी अधिक विधायकों के समर्थन का दावा किया।
In a surprising twist in Maharashtra government formation, Devendra Fadnavis today took oath as Maharashtra CM for the second consecutive term.
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रात के 12 बजे राज्यपाल ने हालात से केंद्र सरकार को अवगत कराया। केंद्र सरकार को राज्यपाल ने कहा कि राज्य में गठबंधन सरकार बनते ही राष्ट्रपति शासन हटा देना चाहिए। इसके बाद इस प्रस्ताव से राष्ट्रपति भवन को अवगत कराया गया।
शनिवार की सुबह क्या-क्या हुआ?
सुबह के 6 बजे राज्यपाल ने निर्णय लिया कि देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी। इसके बाद फडणवीस ने 6.45 में राज्यपाल को सूचना दी कि अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद के लिए नामित किया गया है। राज्यपाल ने सुबह 8 बज कर 7 मिनट कर फडणवीस और पवार को शपथ दिलाने की प्रक्रिया पूरी की। बस इसके साथ ही उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने का सपना चकनाचूर हो गया।
किसने क्या कहा?
इस दौरान नेताओं की प्रतिक्रियाएँ भी रोचक आईं। उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के अपना दर्द छलकाया, कॉन्ग्रेस की तरफ़ से मल्लिकार्जुन खड़गे और अहमद पटेल ने इसे जनादेश का अपमान बताया। उद्धव ठाकरे ने छत्रपति शिवाजी को याद करते हुए कहा कि भाजपा ने पीछे से वार किया है। उन्होंने पूछा कि ऐसा ही चलता रहा तो चुनाव की ज़रूरत ही क्या है? महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि शिवसेना ने भाजपा को धोखा दिया है। संजय राउत ने कहा कि अजित पवार को ब्लैकमेल किया गया है और विधायकों को अपहृत कर ले जाया गया था।
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने शरद पवार और सुप्रिया सुले को भी मंत्री बनाने का ऑफर दिया। रामविलास पासवान ने लिखा कि जिस जानवर को सड़क पर यह पता नहीं होता कि उसे दाएँ जाना है या बाएँ, वो मारा जाता है। मोदी और शाह ने फडणवीस और पवार को शपथग्रहण के लिए बधाई दी।