नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर तस्वीर अब भी पूरी तरह साफ नहीं हुई है। शिवसेना अब भी 2.5 साल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अड़ी हुई है, तो दूसरी ओर भाजपा उससे मोलभाव करने को तैयार नहीं दिख रही। इस बीच, भाजपा के समर्थन का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। निर्दलीय विनोद अग्रवाल और महेश बालदी ने अपना समर्थन बीजेपी को देने की घोषणा की है।
निर्दलीय राजेंद्र राउत, बीजेपी की बागी गीता जैन और युवा स्वाभिमान पार्टी के रवि राणा ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान पहले ही कर रखा है। राणा को छोड़ सभी ये सभी नवनिर्वाचित विधायक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलकर उन्हें समर्थन पत्र सौंप चुके है। राणा ने फडणवीस को पत्र लिखकर बीजेपी को समर्थन देने की बात कही थी।
बुधवार को भाजपा विधायक दल के नेता का चुनाव करने वाली है। इसके लिए पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अमित शाह मुंबई जाने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार, यदि शिवसेना राजी नहीं हुई तो बीजेपी अल्पमत की सरकार भी बना सकती है, जैसा उसने 2014 के विधानसभा चुनावों के बाद किया था। कयास कॉन्ग्रेस में टूट के भी लगाए जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले भी कॉन्ग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने की नेताओं में होड़ लगी थी। जिस तरह पिछले दिनों कर्नाटक और गोवा में कॉन्ग्रेस में विधायक दल में टूट देखने को मिली थी, उससे ऐसी किसी भी संभावना को सिरे से नकारा नहीं जा सकता।
अपक्ष आमदार श्री महेश बालदी यांनी मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस यांच्या नेतृत्वावर विश्वास व्यक्त करीत भाजपा सरकारला आपला पाठिंबा जाहीर केला.
हालॉंकि, कॉन्ग्रेस भी अपनी ओर से शिवसेना को साधने की कोशिश कर रही है। महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष बाला साहेब थोराट और राज्य के पूर्व मंत्री विजय वडेट्टीवार कह चुके हैं कि यदि शिवसेना की ओर से प्रस्ताव आता है तो वे हाई कमान के साथ इसकी चर्चा करेंगे। वडेट्टीवार तो इशारों-इशारों में पॉंच साल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी शिवसेना को सौंपने की बात कह चुके हैं। लेकिन, शिवसेना की ओर से कॉन्ग्रेस को अभी तक कोई भाव नहीं मिला है।
वैसे, कॉन्ग्रेस की इस कोशिश में आड़े उसकी सहयोगी एनसीपी का रुख भी है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने नतीजों के बाद कहा था कि सरकार गठन का जनादेश भाजपा शिवसेना को मिला है और वे विपक्ष में बैठेंगे। लेकिन सियासत में कोई भी बात अंतिम नहीं होती। पर्दे के पीछे से सारे समीकरण बिठाने की कोशिश होती रहती है। 2014 में बीजेपी की अल्पमत सरकार के गठन में एनसीपी की अहम भूमिका भी रही थी। बाद में शिवसेना उस सरकार में शामिल हुई थी।
288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी को 105 सीटें मिली है। बहुमत का नंबर है 145। शिवसेना को 56, कॉन्ग्रेस को 44 और एनसीपी को 54 सीटों पर सफलता मिली है। शेष सीटें निर्दलीयों और छोटे दलों के खाते में गई है। निर्दलीय में ज्यादातर भाजपा के ही बागी हैं।