महाराष्ट्र में शिवसेना बनेगी भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत

महाराष्ट्र का जनादेश साफ है, अति नहीं, उन्माद नहीं वर्ना खत्म हो जाओगे: शिवसेना

मुंबई। शिवसेना (Shiv Sena) के मुखपत्र सामना में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों (Maharashtra Assembly Elections 2019) के बाद छपे संपादकीय में इशारों इशारों में बीजेपी (bjp) को उसकी कम हुई ताकत का एहसास कराया गया है. शिवसेना ने इन नतीजों को चौंकाने वाला बताया है. संपादकीय में जहां बीजेपी की आलोचना की गई है वहीं राज्य में एनसीपी (ncp) और कांग्रेस (congress) की बढ़ती ताकत का भी जिक्र किया है.

शिवसेना ने कहा है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) की जनता का रुझान सीधा और साफ है. अति नहीं, उन्माद नहीं वर्ना समाप्त हो जाओगे, ऐसा जनादेश ‘ईवीएम’ की मशीन से बाहर आया. ‘ईवीएम’ से सिर्फ कमल ही बाहर आएंगे, ऐसा आत्मविश्वास मुख्यमंत्री फडणवीस को आखिरी क्षण तक था लेकिन 164 में से 63 सीटों पर कमल नहीं खिला. पूरे महाराष्ट्र के नतीजों को देखें तो शिवसेना-भाजपा युति को सरकार बनाने लायक बहुमत मिल चुका है.

संपादकीय में कहा गया है, ‘आंकड़ों’ का खेल संसदीय लोकतंत्र में चलता रहता है. ‘युति’ का आंकड़ा स्पष्ट बहुमत का है. शिवसेना और भाजपा को एक साथ करीब 160 का आंकड़ा आया है. महाराष्ट्र की जनता ने निश्चित करके ही ये नतीजे दिए हैं. फिर इसे महाजनादेश कहो, या कुछ और. यह जनादेश है महाजनादेश नहीं, इसे स्वीकार करना पड़ेगा.’

शिवसेना ने कहा, ‘महाराष्ट्र में 2014 की अपेक्षा कुछ अलग नतीजे आए हैं. 2014 में ‘युति’ नहीं थी. 2019 में ‘युति’ के बावजूद सीटें कम हुईं. बहुमत मिला लेकिन कांग्रेस-एनसीपी मिलकर 100 सीटों तक पहुंच गई. एक मजबूत विरोधी पक्ष के रूप में मतदाताओं ने उन्हें एक जिम्मेदारी सौंपी है. ये एक प्रकार से सत्ताधीशों को मिला सबक है. धौंस, दहशत और सत्ता की मस्ती से प्रभावित न होते हुए जनता ने जो मतदान किया, उसके लिए उसका अभिनंदन!’

कांग्रेस के पास कोई नेतृत्व नहीं था. इस कमजोर कांग्रेस को राज्य में 44 सीटें मिल गई. बीजेपी ने एनसीपी में ऐसी सेंध लगाई कि पवार की पार्टी में कुछ बचेगा या नहीं,  ऐसा माहौल बन गया था. लेकिन महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा छलांग राष्ट्रवादी ने लगाई है और 50 का आंकड़ा पार कर लिया है. भाजपा 122 से 102 पर आ गई है..’

शिवसेना ने कहा, ‘चुनाव समाप्त हो गए और हम महाराष्ट्र के चरणों में अपनी सेवा शुरू करने जा रहे हैं. कौन हारा और कौन जीता, इस पर बाद में मंथन करेंगे. महाराष्ट्र की भावनाओं को कुचलकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता और मराठी भावनाओं की छाती पर पैर रखकर कोई शासन नहीं कर सकता. अपनी बातों पर अटल रहनेवाले ‘राजा’ के रूप में छत्रपति शिवराय की ख्याति थी. ये राज्य शिवराय की प्रेरणा से ही चलेगा!’

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