मुंबई। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना (SAAMANA) के संपादकीय में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को खरी खोटी सुनते हुए विपक्ष को नपुंसक कह डाला. अपने लेख में शिवसेना ने मुंबई में आयोजित कांग्रेस की रैलियों और उनमें राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों का भी जवाब दिया. विपक्ष को कमजोर बताते हुए सामना ने कई सारे मुद्दों पर अपनी बात रखी है. जिनमें से राहुल का चुनाव के समय बैंकॉक घूमने की वजह भी शामिल है .
विपक्ष पर सवाल उठाते हुए सामना ने लिखा है, ‘महाराष्ट्र सरकार पर निष्क्रिय होने का आरोप राहुल गांधी ने मुंबई में आकर लगाया. राहुल गांधी की आलोचना को जबरदस्त प्रहार वगैरह नहीं कहा जा सकता है. राहुल आए और उन्होंने मुंबई की सड़कों पर सभा की. लोकसभा चुनाव के बाद से लापता हुए राहुल गांधी आखिरकार प्रगट हुए. बीच के समय में वे बैंकॉक, पटाया आदि जगहों पर गए और वहां अदृश्य हो गए. बैंकॉक कोई प्रतिष्ठित राजनेताओं की आरामगाह नहीं है इसलिए गांधी बैंकॉक निश्चित तौर पर किस लिए गए? इस पर पूरे देश का माहौल गर्म हो गया है.’
शिवसेना ने आगे लिखा है, ‘महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस पार्टी अकेले जब संघर्ष कर रही थी तब उनका नेता बैंकॉक में आराम फरमा रहा था. यह शोर मचते ही राहुल गांधी महाराष्ट्र में प्रचार के लिए प्रगट हो गए. राहुल गांधी को लेकर निर्माण हुई भ्रम की स्थिति इससे कम हो गई. राहुल गांधी का अब ऐसा कहना है कि ये सरकार निष्क्रिय है. किसान आत्महत्या कर रहे हैं, जनता कर भरती है परंतु कर जाता कहां है? इसका जवाब सरकार नहीं देती है, ऐसा सवाल राहुल गांधी ने पूछा है. सरकार निष्क्रिय और नकारा होगी तो आगामी चुनाव में जनता उसकी खबर लेगी.सवाल इतना ही है कि पूरी कांग्रेस पार्टी मरे हुए अजगर की तरह अचेत और निष्क्रिय पड़ी है. ऐसे में राहुल गांधी ने महाराष्ट्र को निष्क्रिय ठहराया इस पर हैरानी होती है….
…लोकसभा चुनाव के परिणाम के सदमे से राहुल गांधी उबर नहीं पाए और उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. तब से कांग्रेस बिना सिरवाली पार्टी के रूप में चल रही है. कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व त्यागकर राहुल गांधी बैंकॉक, यूरोप का दौरा कर रहे हैं और दूसरों को निष्क्रिय कहते हैं. कांग्रेस पिछले 4 महीनों में अध्यक्ष चुन नहीं पाई, इसका पहले कारण बताओ.
समाना में लिखा है, ‘विरोधी पक्ष के रूप में कांग्रेस महाराष्ट्र में इतनी निष्क्रिय सिद्ध हुई, विरोधी दल के नेताओं की पूरी फौज भाजपा में विलीन हो गई. यह ऊपरी नेतृत्व के निष्क्रिय होने का परिणाम है. महाराष्ट्र में समस्याएं निश्चित ही है. कुछ समस्याएं अचानक निर्माण होती हैं. ऐसे समय में जनता की आवाज बुलंद करनेवाले विपक्ष को सक्रिय होना पड़ता है. वो विपक्ष बीते ५ वर्षों में दिखा ही नहीं तथा ऐसे निष्क्रिय और बर्खास्त विपक्ष के नेता राज्य सरकार को निष्क्रिय ठहराकर मुक्त होते हैं, इसे क्या कहा जाए? बेरोजगारी, पीएमसी बैंक घोटाला आदि पर मुख्यमंत्री फडणवीस, अमित शाह कुछ बोलते नहीं, ऐसा आरोप राहुल गांधी लगाते हैं…..
…….भाजपा और अन्य नेता महत्वपूर्ण मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए अन्य मुद्दों को आगे करके गुमराह करते हैं, ऐसा गांधी कहते होंगे तो यह विपक्ष की निष्क्रियता का पाप है. महत्वपूर्ण मुद्दा मतलब कौन-सा? मुख्यत: इन तमाम मुद्दों से फिलहाल राहुल गांधी का संबंध शेष रहा है क्या? अर्थात विपक्ष की चिल्ल-पों पर जनता को विश्वास नहीं रहा है. एक बार शासकों पर से विश्वास उठ गया तो चलेगा, परंतु लोकतंत्र में विपक्ष पर से विश्वास नहीं उठना चाहिए, ये भावना है.