न्यूयॉर्क। विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने फॉरेन रिलेशंस काउंसिल (सीएफआर) के प्रोग्राम में पाकिस्तान (Pakistan) पर निशाना साधते हुए कहा कि दुनिया के कई हिस्सों में आतंकवाद है लेकिन कोई भी ऐसी जगह नहीं है जहां कोई देश सोच-समझकर और जानबूझकर पड़ोसी के खिलाफ बड़े उद्योग के रूप में आतंकवाद का इस्तेमाल करता हो.
पाकिस्तान से बातचीत के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि असल मसला ये नहीं है कि बातचीत हो या ना हो क्योंकि हर कोई अपने पड़ोसी से बात करना चाहता है. दरअसल असल बात ये है कि ऐसे मुल्क से कैसे बात हो सकती है जो एक तरफ आतंकवाद का पोषक हो और उसके प्रति अनभिज्ञता की पॉलिसी अपनाता हो.
जम्मू-कश्मीर पर उन्होंने कहा कि वहां पर पांच अगस्त को आर्टिकल 370 हटाने के बाद से ही परेशानियां शुरू नहीं हुईं. उससे पहले ही वहां हालात मुश्किल थे. वहां भय का माहौल इस हद तक बनाया गया कि श्रीनगर की सड़कों पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को मारा गया. अलगाववाद के खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों की हत्या की गई. ईद के लिए घर जा रहे सैन्य जवानों का अपहरण किया गया और हत्या की गई. इन परेशानियों से निपटने के लिए पांच अगस्त को अहम कदम उठाया गया.
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद लागू पाबंदियों पर उन्होंने कहा कि 2016 में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद वहां हिंसा भड़क गई. उस अनुभव को देखते हुए स्थितियों पर नियंत्रण (आर्टिकल 370 हटने के बाद) के लिए पाबंदियां लगाई गईं.
पाकिस्तान के साथ आर्थिक संबंधों के मसले पर उन्होंने कहा कि पड़ोसी डब्ल्यूटीओ का सदस्य है और उससे पहले GATT का भी सदस्य रहा लेकिन उसने मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा नहीं दिया जबकि कानूनी रूप से उसे ऐसा देना चाहिए था. ऐसा पड़ोसी आपको कनेक्टिविटी से रोकता है…लोगों के परस्पर संपर्क पर पाबंदियां अख्तियार करता है. ये बहुत चुनौतीपूर्ण पड़ोसी है.