पटना। बीजेपी जिस तरह से अपना सीमा विस्तार कर रही है, उसने विरोधियों के साथ-साथ सहयोगी दलों को भी अपनी रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया है, महाराष्ट्र में शिवसेना तय नहीं कर पा रही है, कि आखिर बीजेपी से अपने रिश्ते किस तरह निभाएं, कई दशकों से विधानसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में दिखने वाली शिवसेना इस बार बराबरी पर भी संतोष करने को तैयार है, हालांकि सूत्रों का दावा है कि बीजेपी उसे बराबरी का भी दर्जा देने को तैयार नहीं है, ऐसे में शिवसेना उद्धव ठाकरे को सीएम उम्मीदवार घोषित करने की खबरों के बहाने बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश में लगी हुई है, लेकिन इसका असर बीजेपी नेतृत्व पर होता नहीं दिख रहा है, इन सब के बीच नीतीश कुमार महाराष्ट्र की राजनीति पर पल-पल नजर गड़ाये हुए हैं।
सीमा विस्तार से जद में सहयोगी दल
बात सिर्फ महाराष्ट्र की नहीं बल्कि बिहार के हालात की भी होगी, हालांकि इस मामले में कोई भी खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है, नीतीश के करीबी समझे जाने वाले एक नेता ने दावा करते हुए कहा कि नीतीश महाराष्ट्र की राजनीति पर आंख गड़ाये हुए हैं, बीजेपी-शिवसेना के रिश्ते का असर बिहार की राजनीति पर भी पड़ेगा, क्योंकि बिहार की राजनीति में जदयू की हालत करीब-करीब वही है, जो महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना की है, ऐसे में सीएम नीतीश कुमार की चिंता जायज है।
नीतीश के सामने ये है मुश्किल
बिहार की राजनीति को करीब से देखने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि नीतीश के सामने शिवसेना से ज्यादा गंभीर संकट है, बीजेपी और शिवसेना का कोर वोट बैंक एक है, इसलिये दोनों पार्टियों के अलग होने का असर कम दिखता है, महाराष्ट्र में विपक्षी भी कमजोर हो चुका है, लेकिन बिहार में नीतीश का वोट बैंक बीजेपी से अलग है, नीतीश बीजेपी के साथ रहकर भी अल्पसंख्यक वोटरों को भरोसा जीतने में लगे रहते हैं, यही वजह है कि जदयू ने तीन तलाक, 370 और राम मंदिर जैसे मुद्दे पर बीजेपी से किनारा कर लिया।
बीजेपी के साथ सहज नहीं
नीतीश कुमार के सामने बीजेपी के साथ बने रहने और बिहार की राजनीति में खुद को बड़े भाई के रुप में रखने की बड़ी चुनौती है, एक ओर जहां दोनों पार्टियों का राजनीतिक एजेंडा अलग-अलग है, लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीटें जीतने के बावजूद नीतीश बीजेपी के साथ सहज नहीं दिख रहे हैं, इसका एक कारण है कि बीजेपी के कुछ नेता नीतीश को अपना नेता मानने को तैयार नहीं है।
राजद के नये दांव से नीतीश की मुश्किल बढी
राजद ने भी नया दांव खेलते हुए नीतीश को विपक्ष का चेहरा बनने की पेशकश की है, जिससे बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है, नीतीश की राजनीतिक महत्वकांक्षा किसी से छुपी नहीं हैं, वो कभी भी पलटी मार सकते है, इसके साथ ही राजद अपने वोटरों को भी ये संदेश देना चाहती है, कि एकजुट हो जाओ, बीजेपी को रोकने के लिये हम कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं, हालांकि हालिया हालात में नीतीश बीजेपी का साथ छोड़ने का तैयार नहीं हैं।