टीम इंडिया के पूर्व खिलाड़ी के लिए पिछले काफी समय से मुसीबत बने ‘हितों के टकराव’ का मामला अभी शांत नहीं हुआ है. हाल ही में यह मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में आया जब टीम इंडिया के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) की राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के प्रमुख के तौर पर नियुक्ति हुई. द्रविड़ को इस मामले में प्रशासकों की समिति (CoA) ने क्लीन चिट दी थी. इस मामले में अब पूर्व कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) का बयान सामने आया है. गांगुली ने यह कहकर इस नियम की आलोचना की है कि इस नियम को व्यवहारिक होने की जरूरत है.
गांगुली ने राहुल द्रविड़ का उदाहरण दिया जिन्हें पिछले महीने ही एनसीए का प्रमुख बनाया गया था. उसके बाद उनकी नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े किए गए थे. राहुल इसके अलावा इंडिया सीमेंट्स ग्रुप के उप अध्यक्ष भी हैं जो आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स की मालिक भी है. हालाकि सीओेए के सदस्य रवि थोडगे ने कहा था कि द्रविड़ के एनसीए प्रमुख नियुक्ति में कोई हितों का टकराव नहीं है.
एक कार्यक्रम में आए गांगुली ने कहा, “यह नियम व्यवहारिक होना चाहिए, राहुल द्रविड़ एनसीए प्रमुख नियुक्त किए गए और इससे उनके इंडिया सीमेंट्स के काम के साथ हितों के टकराव को लेकर कुछ मुद्दे हैं. तीन साल बाद आप एनसीए प्रमुख शायद न रहें. लेकिन ये काम स्थायी हैं और आपके साथ रहते हैं. मैं इसे हितों के टकराव के तौर पर नहीं देखता, आप दुनिया में जाइए और रिकी पोंटिंग को देखिए.”
उन्हें बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि इंडिया अब आने वाले दो सालों में होने वाले दो प्रमुख टूर्नामेंट में बढ़िया करेगी” गांगुली ने वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट में विराट कोहली के कुलदीप यादव और रविचंद्रन अश्विन को न चुनने पर हैरानी जताई. उन्होंने कहा, “मैं इस बात से हैरान था कि कुलदीप यादव को मैंच में नहीं लिया गया. क्योंकि पिछले टेस्ट में कुलदीप ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में पांच विकेट लिए थे. लेकिन जडेजा भी बढ़िया फॉर्म में हैं. बेशक एंटिगा की सतह के मुताबकि तीन तेज गेंदबाजों की जरूरत है. लेकिन सवाल स्पिन का था. अश्विन का टेस्ट रिकॉर्ड बेहतरीन है. अब विराट का यह फैसला कितना कारगर होगा यह बाद में पता चलेगा.”