नई दिल्ली। तीन तलाक को अपराध करार देने वाले कानून के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जस्टिस एनवी रमन्ना और जस्टिस अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया है.
दरअसल, याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट एक साथ 3 तलाक को अमान्य कह चुका है. ऐसे में कानून की जरूरत नहीं थी. याचिका में कहा गया है कि पति के जेल जाने से पत्नी की मदद नहीं होगी. लापरवाही से जान लेने जैसे अपराध के लिए 2 साल की सजा है और तलाक के लिए 3 साल की.
आपको बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 1 अगस्त (गुरुवार) को तीन-तलाक विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसके अंतर्गत सिर्फ तीन बार ‘तलाक’ बोल कर तत्काल तलाक देना अपराध की श्रेणी में आ गया है जिसके लिए तीन साल तक की सजा दी जा सकती है.तीन-तलाक या मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 संसद के दोनों सदनों में पहले ही पारित हो चुका है.
लोकसभा में यह विधेयक विपक्ष के विरोध के बावजूद 25 जुलाई को पारित हो गया था.विपक्ष की मांग थी कि पारित करने से पहले एक स्टैंडिंग कमेटी द्वारा इसकी समीक्षा हो. इसके बाद यह विधेयक राज्यसभा में भी पारित हो गया। उच्च सदन में बहुमत नहीं होने के बावजूद सरकार विधेयक पारित कराने में सफल रही.