नई दिल्ली। आईएनएक्स मीडिया केस में पी चिदंबरम गिरफ़्तारी से बचने के लिए छिप गए हैं, लेकिन सीबीआई उनके आवास पर डटी हुई है। चिदंबरम के ख़िलाफ़ एयरसेल-मैक्सिस केस में एक अलग मामला भी चल रहा है, जहाँ कई बार अदालत द्वारा उन्हें गिरफ़्तारी से राहत प्रदान की जा चुकी है। लेकिन, चिदंबरम अकेले नहीं हैं। कॉन्ग्रेस के कई और बड़े नेताओं के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं।
यही कारण है कि जब से हाई कोर्ट ने चिदंबरम को राहत देने से इनकार किया है, कॉन्ग्रेस नेता केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर हो गए हैं। पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी ने तो चिदंबरम के तारीफों के पुल बाँधते हुए यहाँ तक कहा है कि सरकार उन्हें इसीलिए पकड़ना चाहती है क्योंकि वे सच बोलते हैं और सच्चाई मोदी सरकार को बर्दाश्त नहीं होती। उन्होंने चिदंबरम को देश के प्रति वफादार बताया।
जाहिर है कई नेताओं के फॅंसे होने के कारण सबको एक-दूसरे का समर्थन करने में ही भलाई नजर आ रही है।कल को दूसरों पर भी गिरफ़्तारी की तलवार लटक सकती है, इसलिए कॉन्ग्रेस नेता अभी से हंगामा खड़ा कर, राजनीतिक विरोधियों को फॅंसाने के आरोप बार-बार दोहराकर भ्रष्टाचार के मामलों से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं।
कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी सहित कई पूर्व केंद्रीय मंत्री के ख़िलाफ़ विभिन्न एजेंसियाँ जाँच कर रही हैं। आइए ऐसे नेताओं पर एक नज़र डालते हैं।
सोनिया गाँधी – राहुल गाँधी
लगातार 2 दशक तक कॉन्ग्रेस की अध्यक्ष रहीं सोनिया गाँधी की एक बार फिर पार्टी के शीर्ष पद पर वापसी हुई है। उनके बेटे राहुल गाँधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। दोनों माँ-बेटे नेशनल हेराल्ड केस में आरोपित हैं और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। दिसंबर 2015 में दिल्ली की एक अदालत ने दोनों को 50-50 हज़ार रुपए के पर्सनल बॉन्ड पर ज़मानत दी थी। सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा दर्ज कराए गए इस मामले में आरोप है कि यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (YIL) ने एसोसिएट जर्नल प्राइवेट लिमिटेड (AJL) का अधिग्रहण किया, जिसमें कई अनियमितताएँ बरती गईं।
वाईआईएल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में सोनिया और राहुल भी शामिल हैं। स्वामी के शिकायत में कहा गया है कि वाईआईएल में सोनिया-राहुल की 76% हिस्सेदारी है और एजेएल को कॉन्ग्रेस पार्टी के फंड्स में से लोन दिए गए, जो ग़ैर-क़ानूनी है। कॉन्ग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा भी इस मामले में आरोपित हैं।
अशोक चव्हाण
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रह चुके अशोक चव्हाण आदर्श सोसायटी घोटाले में आरोपित हैं। राज्यपाल ने 2016 में चव्हाण के ख़िलाफ़ अभियोग चलाने के लिए सीबीआई को मंजूरी दे दी थी। 2012 में सीबीआई ने इस मामले में 10,000 पेज की चार्जशीट फाइल की थी। आदर्श सोसायटी में कारगिल युद्ध में वीरगति को प्राप्त जवानों के परिवारों के लिए फ्लैट्स का निर्माण कराया गया था।
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट ने कहा था कि सैनिकों के परिवारों की जगह तत्कालीन मुख्यमंत्री चव्हाण के रिश्तेदारों को अवैध रूप से फ्लैट्स दिए गए। इसी मामले में महाराष्ट्र के एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे भी आरोपित थे।
नवीन जिंदल
उद्योगपति नवीन जिंदल कॉन्ग्रेस पार्टी से 2 बार संसद रह चुके हैं। उनके ख़िलाफ़ कोयला घोटाले में आरोप तय किए जा चुके हैं। जिंदल पर धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और गलत दावे करने का मामला दर्ज है। उनकी कम्पनी ने मध्य प्रदेश कॉल ब्लॉक का आवंटन लेने के लिए कोयला मंत्रालय के सामने ग़लत तथ्य पेश किए थे। उन पर झारखण्ड अमरकोंडा कॉल ब्लॉक के आवंटन के मामले में एक अलग केस भी चल रहा है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
ग्वालियर राजघराने से आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के ख़िलाफ़ ज़मीन कब्जाने का मामला चल रहा है। उनके ख़िलाफ़ 2014 में मध्य प्रदेश इकनोमिक ऑफिस विंग ने जाँच शुरू की थी। जुलाई 2019 में अदालत ने पीआईएल पर उनसे जवाब माँगा था। जवाब न देने पर अदालत ने 10,000 रुपए का आर्थिक दंड दिया था। उन पर आरोप है किउनके ट्रस्ट ने सरकारी संपत्ति बिल्डर को बेच दिए। ये जमीनें ग्वालियर के चेतकपुरी में स्थित है।
सिद्दारमैया
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ लोकायुक्त के पास एक-दो नहीं बल्कि 50 शिकायतें विचाराधीन पड़ी हुई हैं और इनमें से कई पर कार्रवाई कभी भी शुरू हो सकती है। ये अपने आप में एक यूनिक किस्म का मामला है, जहाँ लोकायुक्त के पास किसी मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ 50 शिकायतें पेंडिंग पड़ी हों। 2017 में सीबीआई की विशेष अदालत ने उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने कुछ चुनिंदा माइनिंग कंपनियों को फेवर किया।
अशोक गहलोत
अशोक गहलोत के ख़िलाफ़ आरोप है कि उन्होंने पिछली बार मुख्यमंत्री रहते सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए ऐसी कंपनियों का चयन किया, जिनके लिंक्स उनके परिवार के सदस्यों से थे। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते क़रीब 11,000 करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट्स अपने क़रीबी कंपनियों को दिए। कई कंपनियों ने अशोक गहलोत की बेटी व उनके दामाद को फ्लैट्स और महँगी गाड़ी समेत कई गिफ्ट भी दिए, जिसके बाद यह मामला प्रकाश में आया।