चेन्नई। मद्रास हाई कोर्ट के जज एस वैद्यनाथन ने यौन उत्पीड़न के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि आम जन में धारणा बन गई है कि ईसाई शिक्षण संस्थान छात्राओं के भविष्य के लिए सुरक्षित नहीं हैं. मद्रास हाई कोर्ट के जज एस वैद्यनाथन ने ये बातें एक असिस्टेंट प्रोफेसर पर लगे यौन उत्पीड़न के मामले की सुनवाई के दौरान कही.
मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज के प्रोफेसर सैमुअल टेनिसन पर कुछ छात्राओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. आरोप है कि मैसूर, बेंगलुरू में इस साल जनवरी में एक स्टडी टूर के दौरान असिस्टेंट प्रोफेसर ने उनका उत्पीड़न किया. कॉलेज की आंतरिक कमेटी ने भी जांच के दौरान असिस्टेंट प्रोफेसर पर लगे आरोपों की पुष्टि की थी. जिस पर आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ लगे आरोपों को गलत ठहराया था.
प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि आंतरिक कमेटी ने उन्हें संबंधित दस्तावेज और बयान उपलब्ध ही नहीं कराए, जिससे वह अपना बचाव करने में सफल रहते. इस दौरान कॉलेज और कमेटी ने कहा है कि आरोपों की सच्चाई परखने के लिए आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर को भी बचाव के पूरे मौके दिए गए. मद्रास हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए जज ने कहा, ‘कोर्ट आंतरिक कमेटी की जांच में किसी तरह की कमी नहीं पाती है. कोर्ट का मानना है कि आंतरिक समिति की जांच के दौरान नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया है.’
सुनवाई करने के दौरान जज ने ईसाई शिक्षण संस्थानों को लेकर कहा कि बच्चों के माता-पिता और खासकर छात्राओं में यह आम भावना है कि ईसाई शिक्षण संस्थान उनके बच्चों के भविष्य के लिए सुरक्षित नहीं हैं. इन शिक्षण संस्थानों पर दूसरे धर्मों के लोगों को ईसाई धर्म में लाने की कोशिशों के भी आरोप लगते हैं. हालांकि वे अच्छी शिक्षा प्रदान करते हैं.
जज ने निर्दोष पुरुषों को झूठे मामलों से बचाने के लिए कानून में संशोधन करने की भी राज्य सरकार को सलाह दी. जज ने कहा कि कई बार कानूनों के दुरुपयोग के भी मामले सामने आते हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए जो कानून बने हैं, कई बार उनसे पुरुषों को निशाना बनाया जाता है.