लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा एक बार फिर से जोरों पर हैं. वजह है कि शुक्रवार को अचानक प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह दिल्ली पहुंचे. हालांकि योगी के दिल्ली जाने के पीछे वजह यह बताया जा रहा है कि उन्हें अरुण जेटली को देखने जाना था.
योगी आदित्यनाथ दिल्ली के एम्स अस्पताल में अरुण जेटली का हालचाल जानने पहुंचे, लेकिन उसके बाद योगी की अमित शाह के घर पर उनसे मुलाकात हुई जिसके बाद एक बार फिर से प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है.
तीन मंत्री बन गए सांसद
सूत्रों के मुताबिक योगी आदित्यनाथ और स्वतंत्र देव सिंह ने इस बारे में केंद्रीय मंत्री अमित शाह से चर्चा की. दरअसल, मौजूदा सीटों की स्थिति के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 60 सदस्यों का मंत्रिपरिषद हो सकता है. जब मुख्यमंत्री के रूप में योगी ने शपथ ली थी तब 47 सदस्यों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया था. इसमें से तीन मंत्री सांसद बनने की वजह से इस्तीफा दे चुके हैं. सांसद बनने वाले मंत्रियों में रीता बहुगुणा जोशी, सत्यदेव पचौरी और डॉक्टर एसपी बघेल शामिल हैं.
इसके अलावा भाजपा सरकार की सहयोगी रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से निकाला गया है. मौजूदा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भी अध्यक्ष पद ग्रहण करने से पहले मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. जिसकी वजह से पांच मंत्रियों की संख्या कम हो गई है और प्रदेश में सरकार बनने के बाद एक बार भी योगी के मंत्रिमंडल में फेरबदल या विस्तार नहीं हुआ है.
जातीय संतुलन साधने की कोशिश
साथ ही, मंत्रिपरिषद में जातीय संतुलन बनाने की जो कोशिश की गई थी, वह भी इस वक्त पटरी पर नहीं है. संघ और पार्टी के सूत्रों के मुताबिक योगी आदित्यनाथ मौजूदा हालात में मंत्रिमंडल में कुछ नए चेहरों को शामिल करना चाहते हैं और कुछ लोगों को तरक्की देना चाहते हैं साथ ही कुछ का कद भी घटाना चाहते हैं.
लिहाजा इस बारे में कई दौर की बातचीत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संघ के पदाधिकारियों के साथ योगी आदित्यनाथ कर चुके हैं. अगर सूत्रों का यकीन करें तो बहुत जल्द इसमें बदलाव पर मुहर लगने के बाद योगी के मंत्रिमंडल में विस्तार किया जा सकता है.