नई दिल्ली। अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है. सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने तय किया कि अयोध्या मामले की सुनवाई 6 अगस्त से रोजाना की जाएगी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद मामले पर गठित किए गए मध्यस्थता पैनल को भी भंग कर दिया है. अब कहा जा रहा है कि अयोध्या पर 17 नवंबर, 2019 से पहले सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है. लेकिन फैसला आने के आसार 17 नवंबर से पहले ही क्यों जताए जा रहे हैं? इसके पीछे भी बड़ी वजह है…
6 अगस्त से होगी रोजाना सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले पर 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि रोजाना की यह सुनवाई खुली अदालत में होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में मध्यस्थता का कोई नतीजा नहीं निकला है.
अंतिम निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा पैनल : SC
सुप्रीम कोर्ट की ओर से अयोध्या विवाद पर मध्यस्थता के लिए एक पैनल गठित किया गया था. इसने अपनी रिपोर्ट 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को आज इसी रिपोर्ट के आधार पर रोजाना सुनवाई पर फैसला लेना था. सुनवाई के दौरान शुक्रवार को सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि हमें मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट मिली है. मध्यस्थता पैनल अपनी समयसीमा के दौरान अंतिम निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाया. 6 अगस्त से मामले की रोजाना सुनवाई की जाएगी.
अयोध्या विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के पास है. इसके मुखिया चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई हैं. लेकिन उनका रिटायरमेंट अब करीब है. शुक्रवार को भी सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई उन्हीं की अध्यक्षता में हुई. वह 17 नवंबर, 2019 को पद से रिटायर हो रहे हैं. उनके रिटायरमेंट के बाद भी अगर यह सुनवाई चली तो यह नए सिरे से होने की संभावना रहेगी. इसलिए माना जा रहा है कि सीजेआई रंजन गोगोई के रिटायरमेंट से पहले ही इस मामले पर फैसला आ जाए.
2018 में बने थे सीजेआई
सीजेआई रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर, 1954 को हुआ था. उन्होंने 1978 में वकालत (बार) ज्वाइन की. उन्होंने गुवाहाटी हाईकोर्ट में लंबी प्रैक्टिस की. इसके बाद 28 फरवरी, 2001 को उन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया. 12 फरवरी, 2011 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया. 23 अप्रैल, 2012 को वह सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त हुए. 3 अक्टूबर, 2018 को उनकी नियुक्ति चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में हुई.