इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया (England vs Australia) के बीच इंग्लैंड मे एशेज सीरीज (Ashes Series) एक अगस्त से शुरू हो रही है. सीरीज का पहला मैच बर्मिंघम के ऐजबेस्टन में शुरू हो रहा है. इंग्लैंड की टीम के हौसले विश्व कप और हाल ही आयरलैंड के खिलाफ हुए इकलौते टेस्ट मैच जीतने से बुलंद हैं. इस ऑयरलैंड ने उस मैच में इंग्लैंड को पहली पारी में केवल 85 रन पर आउट कर दिया था इसके बाद भी इंग्ैलंड ने वापसी की और मैच जीत लिया. इससे इंग्लैंड का मनोबल बढ़ा है. वहीं ऑस्ट्रेलिया के सामने सीरीज अपने पास बनाए रखने की चुनौती है. यह सीरीज ऐतिहासिक है सीरीज का नाम एशेज कैसे पड़ा यह भी दिलचस्प कहानी है.
पुरानी दुश्मनी जैसा होता है माहौल
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच यह क्रिकेट की सबसे पुरानी दुश्मनी है. एशेज का नाम तब सबसे पहले चर्चा में आया जाब ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड पर पहली टेस्ट जीत दर्ज की. 1882 में 21 अगस्त को लंदन के ओवल में इंग्लैंड को इंग्लैंड में ही पहली बार हार सामना करना पड़ा था. उन दिनों इंग्लैड क्रिकेट की दुनिया में टॉप पर छाया हुआ था. यह हार इंग्लैंड के लोगों को सहन नहीं हुई. इंग्लैंड के संडे टाइम्स ने इस हार पर एक शोक संदेश जारी किया जिसमें देश में क्रिकेट का निधन हो जाना बताया गया. इस शोक संदेश में यह भी बताया गया कि इंग्लैंड क्रिकेट की बॉडी जला दी जाएगी और उसकी एशेज यानि कि राख को ऑस्ट्रेलिया भेज दिया जाएगा.
शुरू हो गया फिर एशेज शब्द का इस्तेमाल
दो महीने बाद हॉन इवो ब्लिग की अगुआई में इंग्लैंड की टीम ऑस्ट्रेलिया गई और कप्तान ने वादा किया कि वह एशेज 9(राख) वापस लाएंगे. ऑस्ट्रेलिया के कप्तान डब्ल्यू एल मुर्डोक ने तब कहा था कि वे एशेज अपने पास रखे रहने के लिए कुछ भी करेंगे. उसी समय से दोनों ही देशों के बीच सीरीज खास हो गई और क्रिकेट की सबसे पुरानी दुश्मनी के तौर पर मानी जाने लगी. 1882 में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार के बाद इंग्लैंड ने अगली 8 सीरीज जीतीं. ऑस्ट्रेलिया ने एशेज सीरीज में पहली जीत 1891-92 में खेली जब उसने इंग्लैंड को 2-1 से हरा दिया.
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बॉडीलाइन सीरीज ने बदला काफी कुछ
दोनों के बीच में एक अहम वक्त तब आया जब 193-33 के टूर पर सीरीज को बॉडीलाइन सीरीज नाम मिला. ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन के स्वाभाविक खेल को रोकने के लिए इंग्लैंड के गेंदबाजों ने एक नई रणनीति अपनाई. उन्होंने बल्लेबाजों के शरीर पर ही तेज गेंदें डाली और सारे फील्डर्स लेग साइड ही रखे. इस नई नीति का इंग्लैंड का फायदा मिला और वे सीरीज जीतने में कामयाब रहे, लेकिन सीरीज के कारण क्रिकेट में कई नियमों में बदलाव गए.
ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा रहा है भारी
अब दोनों देश 346 टेस्ट खेल चुके हैं. इनमें से इंग्लैंड ने 108 और ऑस्ट्रेलिया ने 144 मैच जीते हैं. वहीं 94 मैचो में कोई नतीजा नहीं निकल सका. पिछली बार दोनों देशों के बीच 2017-18 में सीरीज हुई थी जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने 4-1 से जीत हासिल की थी. इस बार विश्व कप जीतने से इंग्लैंड के हौसले बुलंद लग रहे हैं लेकिन टेस्ट प्रारूप में ढलकर ऑस्ट्रेलिया गेंदबाजी पर हावी होना इंग्लैंड के लिए आसान नहीं होगा. वहीं इंग्लैंड को घरेलू मैदान का फायदा जरूर मिलेगा.