नई दिल्ली। ‘मिसाइल मैन’ के नाम से दुनिया भर में पहचाने जाने वाले भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीएजे अब्दुल कलाम ने आज से ठीक चार साल पहले इस दुनिया को अलविदा कह दिया था, जिससे पूरा देश शोक में डूब गया था. उनका कहना था कि ‘सपने वह नहीं होते जो रात में सोते समय नींद में आएं, बल्कि सपने तो वह होते हैं जो रात भर सोने ही नहीं देते.’ अपनी बुलंद सोच, कठोर परिश्रम और कार्यों को लेकर दुनिया भर में अपनी पहचान बनाने वाले डॉ अबुल पाकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम ने जब देश के 11वें राष्ट्रपति की शपथ ली तो देश के हर नागरिक ने खुशी मनाई.
पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु केरामेश्वरम में हुआ था. कलाम एक सामान्य वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे, जिसके चलते उन्होंने हमेशा ही अपने परिवार को छोटी-बड़ी मुश्किलों से जूझते देखा था और यही कारण था कि वह समय से पहले ही समझदार हो गए. जब वह 19 साल के थे, तब देश द्वितीय विश्वयुद्ध की अग्नि में जल रहा था. इस दौरान वह अभियांत्रिकी की शिक्षा के लिए मद्रास पहुंचे, जहां उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एडमीशन लिया और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की.
1962 में वह ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ आए, जहां उन्होंने प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एसएलवी तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाया. मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले डॉ अब्दुल कलमा आजाद ने करीब 20 सालों तक इसरो में काम किया और फिर रक्षा शोध और विकास संगठन में भी करीब 20 साल ही काम किया. इसके बाद उन्होंने रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में काम किया और अग्नि, पृथ्वी जैसी मिसाइल को स्वदेशी तकनीक से तैयार किया.
18 जुलाई 2002 में कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए. बता दें कलाम को भारतीय जनता पार्टी समर्थित एनडीए दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया, जिसका विपक्षी दलों ने भी पूरा समर्थन किया. 25 जुलाई 2002 को उन्होंने संसद भवन में राष्ट्रपति पद की शपथ ली और 25 जुलाई 2007 को उनका कार्यकाल समाप्त हो गया. वहीं 27 जुलाई 2015 शिलांग के आईआईएम में एक सेमिनार के दौरान वह अचानक ही गिर गए और उनकी मौत हो गई.