बेंगलुरु। कर्नाटक में आज कुमारस्वामी सरकार के भाग्य का फैसला हो सकता है. सरकार बचेगी, इसकी गुंजाइश कम है. खुद सीएम एचडी कुमारस्वामी भी अब जाने का मन बना चुके हैं. लेकिन सबसे दिलचस्प हो गया है इकलौते बीएसपी विधायक का मामला. एन महेश ने मीडिया को बताया कि मायावती ने उन्हें वोटिंग से दूर रहने को कहा है. इसीलिए विश्वास मत प्रस्ताव में वे ग़ैर हाज़िर रहेंगे. महेश ने दावा किया कि बीएसपी अध्यक्ष के आदेश को मानते हुए वे अपने विधानसभा क्षेत्र में रहेंगे. मायावती को जैसे ही ये पता लगा उन्होंने ट्वीट कर बताया कि बीएसपी के विधायक कुमारस्वामी सरकार का समर्थन करते रहेंगे. लेकिन एन महेश का कोई अता पता नहीं है. वे बेंगलुरू में नहीं हैं.
विधायक महेश के बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं
बीएसपी विधायक एन महेश को डूंढने के लिए मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को कर्नाटक भेजा है. वे पार्टी के राज्य सभा सांसद हैं. वे कल देर रात बेंगलुरू पहुंच भी गए. लेकिन विधायक महेश के बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है. वे कहॉं हैं और क्या चाहते हैं. किसी को नहीं पता. कर्नाटक में कांग्रेस के नेता और पार्टी के लिए संकटमोचक रहे डी शिवकुमार भी बीएसपी एमएलए का पता लगाने में जुटे हैं. बीएसपी के लोकसभा सांसद कुंवर दानिश अली भी इसी काम में लगे हैं. वे लंबे समय तक कर्नाटक की राजनीति करते रहे और जेडीएस के महासयिव भी रहे. इसी साल वे बीएसपी में शामिल हुए. बीएसपी सुप्रीमो मायावती का वचन न ख़ाली जाए. इसी लिए एन महेश की तलाश जारी है. उन्होंने अपना मोबाइल फ़ोन स्विच ऑफ़ कर लिया है.
कुमार स्वामी से नाराज़ हैं बीएसपी विधायक
अंदर की ख़बर ये है कि एन महेश कर्नाटक के सीएम एच डी कुमार स्वामी से बड़े दुखी हैं. नाराज़गी इतनी है कि वे किसी भी तरह उन्हें समर्थन देने को तैयार नहीं हैं. एक दौर था जब वे कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की मिली जुली सरकार में शिक्षा मंत्री थे. लेकिन पार्टी की अंदरूनी राजनीति के कारण कुछ ही महीनों बाद उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा. मायावती ने उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर आने को कहा था. वे चाहते तो कभी भी पाला बदल सकते थे. लेकिन वे हमेशा पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता बने रहे. बीएसपी ने कर्नाटक में पिछला विधानसभा चुनाव जेडीएस के साथ गठबंधन में लड़ा था.
महेश को मिलने का समय तक नहीं देते थे कुमारस्वामी- नेता का दावा
एन महेश राजनीति के शुरूआती दौर से ही बीएसपी में रहे हैं. 1999 में ही वे बीएसपी में चले आए थे. मंत्री की कुर्सी गंवाने के बाद न तो उन्हें पार्टी में पूछा गया, न ही कुमार स्वामी सरकार की तरफ़ से. बीएसपी के कर्नाटक के एक नेता ने बताया कि सीएम कुमारस्वामी तो महेश को मिलने का समय तक नहीं देते थे.उनके इलाक़े के अफ़सर भी उनकी नहीं सुनते थे. पिछले कुछ दिनों से जब जेडीएस एक एक विधायक की ख़ैर ख़बर ले रही है, महेश को किसी ने फ़ोन तक नहीं किया. उनके समर्थन को एक तरह से गारंटी मान लिया गया. ख़बर लिखे जाने तक बीएसपी विधायक एन महेश मायावती के नेटवर्क से बाहर हैं.