नई दिल्ली। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और दिल्ली की तीन बार सीएम रहीं शीला दीक्षित का शनिवार को अचानक निधन हो गया, शनिवार सुबह उन्हें ओखला स्थित एस्कॉर्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पर दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया, बताया जा रहा है कि ह्दय संबंधित रोग से वो लंबे समय से जूझ रही थी, अचानक उनके निधन से हर कोई सन्न है।
अंतिम सांस
81 वर्षीय शीला दीक्षित लंबे समय से ह्दय संबंधित रोग से जूझ रही थी, शनिवार दोपहर 3.55 बजे उन्होने एस्कॉर्ट अस्पताल में अंतिम सांस ली, हालांकि इससे पहले साल 1985 में उनकी जान जाते-जाते बची थी, बताया जाता है कि किसी की भूख ने उन्हें तब बचा लिया था।
क्या है मामला
आपको बता दें कि शीला दीक्षित मूल रुप से पंजाब के कपूरथला की थी, हालांकि उनकी शादी यूपी के एक राजनीतिक परिवार में हुई, 25 सितंबर 1985 की बात है, पंजाब में विधानसभा चुनाव चल रहे थे, शीला दीक्षित को चुनाव अभियान में लगाया गया था, चुनाव प्रचार के आखिरी दिन वो पंजाब पहुंची, शीला ने अंतिम रैली खत्म की और बिहार के एक सांसद की कार में बैठकर बटाला से अमृतसर के लिये निकल पड़ी।
कार में जोरदार ब्लास्ट
कार में शीला दीक्षित, सांसद, एक सुरक्षाकर्मी और ड्राइवर था, तभी ड्राइवर ने शीला जी से कहा कि अभी खाना खा लेते हैं, क्योंकि अमृतसर पहुंचते-पहुंचते काफी देर हो जाएगी, जिसके बाद उन्होने सहमति दी, तो ड्राइवर ने एक रेस्तरां के पास कार रोकी, ड्राइवर खाना खाने लगा और शीला दीक्षित ने सॉफ्ट ड्रिंक मंगवाया, जैसे ही वो सॉफ्ट ड्रिंक का पहला घूंट लेने वाली थी, तभी जोरदार धमाका हुआ, ये धमाका उसी कार में हुआ थी, जिसमें शीला दीक्षित सफर कर रही थीं।
कार के टुकड़े-टुकड़े हो गये
धमाका इतना जोरदार था, कि कार के टुकड़े-टुकड़े हो गये, अगर ड्राइवर ने खाना खाने के लिये कार ना रोकी होती, तो शायद उस दिन अनहोनी हो जाती, उस बम धमाके में चारों लोग मारे जाते, तब कार के पास मौजूद दो बच्चों की जान चली गई थी, बाद में जब इस बम धमाके की जांच हुई, तो पता चला कि कार में टाइम बम फिट किया गया था, यानी शीला दीक्षित की हत्या की साजिश रची गई थी।