नई दिल्ली। दिल्ली की 3 बार सीएम रहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और कद्दावर नेता शीला दीक्षित का शनिवार दोपहर 3.55 बजे एस्कॉर्ट अस्पताल में निधन हो गया, बताया जा रहा है कि पूर्व सीएम को दिल का दौरा पड़ा था, 81 वर्षीय शीला दीक्षित लंबे समय से ह्दय संबंधित बीमारी से जूझ रही थीं, उनके निधन के बाद दिल्ली सरकार ने दो दिन का राजकीय शोक घोषित किया है, इसके साथ ही राजकीय सम्मान के साथ आज उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
अन्य नेताओं से अलग
विनम्र और हमेशा मुस्कुराते रहने वाली पूर्व सीएम का व्यक्तित्व अन्य राजनेताओं से अलग था, उन्हें कार की सवारी का बड़ा चाव था, हालांकि उनकी शादी एक राजनीतिक परिवार में हुई, जिसके बाद उनके जिंदगी एकदम बदल गई, यूपी के वरिष्ठ कांग्रेस नेता की बहू शीला दीक्षित ने राजीव गांधी के साथ काम शुरु किया, धीरे-धीरे पार्टी और गांधी-नेहरु परिवार की करीबी हो गई।
कन्नौज से पहली बार बनीं सांसद
वैसे तो शीला दीक्षित मूल रुप से पंजाब के कपूरथला की थी, लेकिन उनकी स्कूलिंग और हायर स्टडीज देश की राजधानी दिल्ली में हुई। शीला दीक्षित ने यूपी से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की, 1984 में पहली बार कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंची, इसके बाद उन्होने दिल्ली को अपना कर्मभूमि बनाया।
विरोधी भी मुरीद
दिल्ली में उनके मुख्यमंत्री काल में किये गये कामों ने उनके राजनीतिक विरोधियों को भी उनका मुरीद बना दिया, उनके राजनीतिक विरोधी भी खुलकर उनकी प्रशंसा करते थे, उनके कामों और विकास में बड़ी ताकत थी, उनके निधन के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनके कामों को दिल्ली कभी नहीं भूल पाएगी, तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने उन्हें मां जैसा बताया।