लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों के सिलसिले में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने हिंदुओं पर 40 मुकदमे लादे थे। मुसलमानों को केवल एक मामले में आरोपित बनाया गया था। अदालत ने सभी हिंदुओं को बरी कर दिया है, जबकि एकमात्र मामले में आरोपी बनाए गए मुसलमानों को दोषी पाया है।
जिस एक मामले में सत्र अदालत ने इस साल 8 फरवरी को सजा सुनाई थी, वह 27 अगस्त 2013 को कवल गॉंव में सचिन और गौरव नामक दो भाइयों की हत्या से जुड़ी है। इस मामले में अदालत ने मुज़म्मिल, मुजस्सिम, फुरकान, नदीम, जहॉंगीर, अफज़ल और इकबाल को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
Akhilesh Yadav lodged 40 FIRs against Hindus & only 1 against Muslims in Muzaffarpur Riots, all Hindus are acquitted by Court now & seven peaceful Muzammil, Muzassim, Fuqran, Nadim, Jagid, Afzal, & Iqbal were convicted in lynching of Sachin & Gaurav Tyagi.
— प्रशान्त पटेल उमराव (@ippatel) July 19, 2019
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक हिंदुओं पर जो मुकदमे किए गए थे उसमें आरोपित बनाए गए सभी लोगों को अदालतों ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक हत्या से जुड़े 10 मामलों की सुनवाई जनवरी 2017 से इस साल फरवरी तक चली। इन मामलों में 53 लोग आरोपित बनाए गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक अभियोजन पक्ष के पाँच गवाह अदालत में इस बात से मुकर गए कि अपने संबंधियों की हत्या के वक्त वे मौके पर मौजूद थे। 6 अन्य गवाहों ने अदालत को बताया कि पुलिस ने जबरन खाली कागजों पर उनके हस्ताक्षर लिए थे। 5 मामलों में हत्या में इस्तेमाल हुए हथियार को पुलिस कोर्ट में पेश ही नहीं कर पाई।
इसके अलावा सामूहिक बलात्कार के 4 और दंगों के 26 मामलों के आरोपितों को भी अदालत ने बेगुनाह माना। रिपोर्ट में सरकारी वकील के हवाले से बताया गया है कि आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट गवाहों के बयानों पर आधारित थे। अदालत में गवाहों के मुकरने के बाद अब राज्य सरकार रिहा आरोपितों के संबंध में कोई अपील नहीं करेगी।
गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर दंगों में 65 लोग मारे गए थे। सभी मुकदमे पूर्व की सपा सरकार के कार्यकाल में दायर किए गए थे। इनकी जाँच भी अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई थी।