भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 15 जुलाई को अपने दूसरे चंद्र मिशन, चंद्रयान-2 को लॉन्च करने वाला था। लेकिन, लॉन्चिंग के तकरीबन 1 घंटे पहले इस मिशन को रोक दिया गया। इसरो ने तकनीकी खामी की वजह से प्रक्षेपण टालने का फैसला किया।
हालाँकि, रॉकेट का प्रक्षेपण इसरो के लिए कोई नई बात नहीं है। लेकिन, चंद्र मिशन एक जटिल प्रक्रिया है। चंद्रयान 2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर उतरता, जिसका इससे पहले किसी अन्य देश ने कभी प्रयास नहीं किया है। इस मिशन में, छोटी सी चूक की वजह से पैसे और संसाधनों की भारी बर्बादी हो सकती थी। इसलिए जल्दबाजी में लॉन्च करके मिशन को संकट में डालने से बेहतर उसे टालना था।
चंद्र मिशन की अपेक्षा अगर कुछ और ज्यादा पेचीदा है तो वह है ट्विटर पर इससे सम्बंधित प्रतिक्रियाएँ! इसरो के अध्यक्ष के शिवन ने चंद्रयान के लॉन्चिंग के 2 दिन पहले यानी, 13 जुलाई को तिरुमला मंदिर में मिशन की सफलता के लिए पूजा-अर्चना की थी। मिशन के टलने के बाद कुछ लोग ट्विटर पर सिवन की पूजा पर प्रतिक्रिया देने से खुद को रोक नहीं सके और बेतुकी बातें करनी शुरू कर दीं।
इन्हीं में से एक नाम है प्रतीक सिन्हा का! फैक्ट चेक के नाम पर प्रोपेगैंडा रचने वाली वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने ट्वीट किया कि क्या इसरो के चेयरमैन फिर से दूसरी बार चंद्रयान के प्रक्षेपण से पहले प्रार्थना करेंगे? उन्होंने उपहास करते हुए लिखा कि पहली बार के प्रार्थना का तो निश्चित तौर पर कोई प्रभाव नहीं दिखा।
हालाँकि, कुछ लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि इसरो चीफ किसी भी प्रक्षेपण से पहले तिरुमला मंदिर में जाकर प्रार्थना करते हैं। ये वो काफी सालों से करते आ रहे हैं। लेकिन सिन्हा की नज़र में इनमें से कोई भी तर्क मायने नहीं रखता, क्योंकि फैक्ट चेक के नाम पर फेक न्यूज़ फैलाने वाली वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के संस्थापक के अनुसार रॉकेट लॉन्च से पहले मंदिर में प्रार्थना करना ‘अवैज्ञानिक परंपरा’ है और इसे त्याग देना चाहिए।
इसके अलावा मोहन गुरुस्वामी भी इस मामले में अपनी प्रतिभा दिखाने से पीछ नहीं हटे। उन्होंने लिखा, “उन्हें (शिवन) खुद को साइंटिस्ट या इंजीनियर कहते हुए शर्म आना चाहिए।”
यह सही है कि विज्ञान प्रमाण और सबूतों पर आधारित होता है। आम तौर पर कहा जाता है कि मंदिर के अनुष्ठानों की प्रकृति के बारे में सबूत अपर्याप्त हैं। हो सकता है कि उनका ये कहना सही हो कि लॉन्च से पहले मंदिर में जाना एक ‘अवैज्ञानिक परंपरा’ है, लेकिन ऐसा करने में हर्ज ही क्या है? इससे इतने सारे लोग परेशान क्यों हैं?
भारतीय लोग विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्या हासिल कर सकते हैं, इसरो इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है। फिर भी, लोग एक साधारण सी परंपरा को लेकर परेशान हैं। कम से कम वे स्वर्ग में एक सुनहरे ख्वाबों से भरे भविष्य का वादा करते हुए, घृणित अपराधों के लिए लोगों के एक समूह का ब्रेनवॉश तो नहीं करते हैं। प्रतीक सिन्हा खुद एक ऐसे व्यक्ति हैं जो सबूतों पर भरोसा नहीं करते हैं। जाकिर मूसा जैसे खूंखार आतंकवादी, जो कि इस्लामी शासन स्थापित करना चाहता था, उसके अपराधों पर पर्दा डालते हुए AltNews के संस्थापक ने उसे आतंकवादी न कहकर ‘अलगाववादी’ के रूप में प्रदर्शित किया। और ये काम सिर्फ यही कर सकते हैं।
क्या आपने अपने जन्मदिन के लिए मोमबत्ती जलाने और बुझाने की प्रथा खत्म कर दी? ये आपके लिए एक सुंदर और धार्मिक अनुष्ठान हो सकता है, लेकिन क्या आप इसे वैज्ञानिक कह सकते हैं? बच्चों को मोमबत्ती फूंँकते हुए कुछ माँगने के लिए कहा जाता है। फिर भी, किसी को भी इस बारे में कोई शिकायत नहीं है। जन्मदिन पर केक काटने और चेहरे पर केक लगाकर इसकी बर्बादी करने के रस्म से तो मंदिर में पूजा करना बेहतर ही है।
और हाँ, प्रतीक सिन्हा, इसकी बहुत अधिक संभावना है कि इसरो के अध्यक्ष दूसरे लॉन्च से पहले भी तिरुमला में प्रार्थना करेंगे, क्योंकि वो जानते हैं कि वो क्या कर रहे हैं।
इसरो का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी के स्रोतों के बारे में पता लगाना है। पानी, पृथ्वी और सौरमंडल के शुरुआती दिनों का विस्तृत ज्ञान दे सकता है। इस पानी का भविष्य में इस्तेमाल भी किया जा सकता है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इसरो हीलियम -3 का भी पता लगाएगा, जो कि भविष्य में परमाणु ईंधन का स्रोत हो सकता है।
कई हॉलीवुड फिल्मों के बजट की तुलना में काफी सस्ते बजट के साथ यह कोशिश इसरो कर रहा है। इसरो ने यह भी स्पष्ट किया था कि उन्होंने लॉन्च को इसलिए रद्द कर दिया, क्योंकि वो किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते थे। हालाँकि, समस्या बहुत बड़ी नहीं थी, लेकिन ऐहतियात के तौर पर उन्होंने चंद्रयान-2 के लॉन्चिंग को स्थगित कर दिया।