फुटबॉल के इतिहास में जब भी सबसे विवादित गोल की बात होती है तो 1986 के फुटबॉल वर्ल्ड कप का जिक्र जरूर होता है. इस वर्ल्ड कप के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में मैराडोना के 2 गोल की मदद से अर्जेंटीना की टीम ने इंग्लैंड को 2-1 से हरा दिया था. वहीं, रविवार को खेले गए क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल के रोमांचक मुकाबले में इंग्लैंड ने नाटकीय रूप से जीत दर्ज की.
क्रिकेट और फुटबॉल के इन दोनों वर्ल्ड कप में एक खास तरह का जुड़ाव है. दिलचस्प बात यह है कि 1986 के फुटबॉल वर्ल्ड के क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड को ‘हैंड ऑफ गॉड’ के कारण हार का सामना करना पड़ा था. वहीं, 2019 क्रिकेट वर्ल्ड कप में ‘हैंड ऑफ गॉड’ ने ही इंग्लैंड को विश्व क्रिकेट का बादशाह बनाया.
1986 में ‘हैंड ऑफ गॉड’ से हारा था इंग्लैंड
दरअसल, मैक्सिको में खेला गया 1986 का फुटबॉल वर्ल्ड कप अर्जेंटीना के कप्तान डिएगो मैराडोना के नाम रहा था. लेकिन इस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा चर्चा उनके इंग्लैंड के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबले में लगाए गए गोल की हुई थी. इस मैच में अर्जेंटीना ने 2-1 से इंग्लैंड को हराया था. ये दोनों गोल मैराडोना ने किए थे, जिसमें से पहला गोल काफी विवादित रहा था.
फुटबॉल मैराडोना के हाथ से लगकर गोल पोस्ट में पहुंच गई थी, लेकिन रेफरी मैराडोना के हाथ से गेंद को टकराते हुए नहीं देख पाए और इसे गोल मान लिया गया. हालांकि, मैच के बाद मैराडोना ने इस गोल पर बात करते हुए इसे भगवान की मर्जी बताया और इसे ‘हैंड ऑफ गॉड’ का नाम दिया था.
2019 में ‘हैंड ऑफ गॉड’ से मिली इंग्लैंड को जीत
न्यूजीलैंड के 242 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही इंग्लैंड की टीम को जीत के लिए आखिरी ओवर में 15 रन चाहिए थे. दो गेंद खाली गईं और फिर स्टोक्स के बल्ले से छक्का निकला.
इसके बाद अंतिम 3 गेंदों पर इंग्लैंड की टीम को 9 रन चाहिए थे. चौथी गेंद पर स्टोक्स ने डीप मिडविकेट पर शॉट खेला और 2 रन लिए. इस बीच स्टोक्स दूसरे रन के लिए दौड़े लेकिन मार्टिन गप्टिल की थ्रो विकेट पर लगने के बजाय क्रीज पर पहुंचे स्टोक्स के हाथ से टकराकर चौके के लिए बाउंड्री के पार चली गई, जिससे इस गेंद पर इंग्लैंड को 6 रन मिले. इसके बाद इंग्लैंड को 2 गेंद में 3 रन चाहिए थे. आखिरी के दो गेंद पर 2 रन बटोरकर इंग्लैंड ने मैच को टाई कर दिया और मैच सुपर ओवर में पहुंच गया.
माना जा रहा है कि अगर गप्टिल की थ्रो स्टोक्स के हाथ पर लगकर बाउंड्री के पार न गई होती तो सुपर ओवर की नौबत ही नहीं आती और न्यूजीलैंड पहली बार क्रिकेट का बादशाह बन जाता.