नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद विध्वंस केस की सुनवाई कर रहे सीबीआई जज एसके यादव ने इस केस की सुनवाई के लिए छह माह का अतिरिक्त समय मांगा है. वह 30 सितंबर को रिटायर होने वाले हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि CBI जज एसके यादव जब तक फैसला नहीं देते तब तक उन्हें रिटायर न किया जाए. दरअसल CBI जज एसके यादव ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए 6 महीने का अतिरिक्त समय मांगा है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बेहद जरूरी है कि CBI जज एसके यादव मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाएं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अनुच्छेद 142 के तहत आदेश जारी करेंगे कि उन्हें 30 सितंबर को रिटायर न किया जाए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह नियम देखकर बताए कि किस प्रावधान के तहत सेशन जज की रिटायरमेंट की तय सीमा को बढ़ाया जाए. सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को मामले की सुनवाई करेगा.
19 अप्रैल 2019 तक पूरी होनी थी सुनवाई
दरअसल, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को कहा था कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती पर 1992 के राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश के गंभीर आरोप में मुकदमा चलेगा और रोजाना सुनवाई करके इसकी कार्यवाही दो साल के भीतर 19 अप्रैल 2019 तक पूरी की जायेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने रायबरेली और लखनऊ की अदालत में लंबित इन दोनों मुकदमों को मिलाने और लखनऊ में ही इस पर सुनवाई का आदेश दिया था. आडवाणी, जोशी और उमा भारती सहित 13 आरोपियों के खिलाफ इस मामले में आपराधिक साजिश के आरोप हटा दिये गये थे, लेकिन हाजी महबूब अहमद और सीबीआई ने भाजपा नेताओं सहित 21आरोपियों के खिलाफ साजिश के आरोप हटाने के आदेश को चुनौती दी थी. इन 21 आरोपियों में से आठ की मृत्यु हो चुकी है.इस मामले में आठ व्यक्तियों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया गया था, परंतु विध्वंस की योजना बनाने के आरोप से मुक्त किये गये 13 व्यक्तियों के खिलाफ ऐसा नहीं किया गया था.आडवाणी, जोशी और भारती के साथ ही कल्याण सिंह (अब राजस्थान के राज्यपाल), शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे और विहिप नेता आचार्य गिरिराज किशोर (दोनों दिवंगत) के खिलाफ साजिश के आरोप हटाये गये थे.