पटना। राजधानी पटना का दूसरा बड़ा अस्पताल एनएमसीएच परिसर में जल जमाव की समस्या खत्म नहीं हुई है. मॉनसून की बारिश अभी शुरू ही हुई है और इसके साथ ही अस्पताल प्रशासन द्वारा जो पिछले साल दावा किया गया था उसकी पोल खुल गई है. बता दें कि पिछले साल भी एनएमसीएच में घुटने तक पानी भरा था. जिसके बाद यह दोबारा न हो इसके लिए आश्वस्थ किया गया था.
बिहार में चिकित्सा व्यवस्था की धीरे-धीरे पोल खुलते जा रही है. एनएमसीएच हर साल मॉनसून की बारिश में तालाब में तब्दील हो जाता है. इस साल भी मॉनसून की बारिश शुरू हुई है और अभी से ही एनएमसीएच तालाब में तब्दील हो गया है. यहां तक की वार्ड में यहां मछलियां तैर रही है.
पिछले साल भी एनएमसीएच की हालत गंभीर थी. यहां आईसीयू से लेकर हर वार्ड में बारिश का पानी भर गया था. जिसके बाद मरिज से लेकर उनके परिजन तक सभी परेशान थे. पानी आईसीयू वार्ड तक भर गया था. जिसके बाद इस मामले में बिहार में राजनीति भी खूब हुई थी.
वहीं, आश्वासन दिया गया था कि इसके लिए पूरी व्यवस्था की जाएगी. जिससे ऐसी हालत फिर न हो लेकिन अब सारी व्यवस्थाओं की फिर से पोल खुल गई है. मॉनसून की हल्की बारिश के बाद ही एनएमसीएच तालाब में तब्दील हो गया है. वहीं, अस्पताल में रखे दवा को बचाने का काम किया जा रहा है.
बताया जाता है कि अस्पताल के पास ड्रेनेज सिस्टम ठीक नहीं है इस वजह से यह हालत होती है. लेकिन हर साल इसे ठीक करने की बात कही जाती है लेकिन मॉनसून के बाद ही सभी काम ठंडे बस्ते में चले जाते हैं. और जब परेशानी बढ़ती है तो फिर सभी की आंखे खुलती है और फिर से मिलता है आश्वासन.
बिहार में चिकित्सा व्यवस्था पर काफी समय से सवाल खड़े किए जा रहे हैं. अस्पताल में इलाज कराने गए मरिजों के लिए यह सबसे गंभीर समस्या बन गई है. एक तरफ वह अस्वस्थ्य होकर अस्पताल में भर्ती हैं लेकिन अस्पताल जब तालाब बन जाए तो ऐसे में इलाज भगवान भरोसे ही होता है. साथ ही एक अलग बिमारी होने की संभावना भी बढ़ जाती है.