नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के चर्चित कृष्णानंद राय मर्डर केस के पांचों आरोपी बरी हो गए. इन आरोपियों में सबसे अहम नाम है पूर्वांचल के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी का. उनके अलावा आरोपियों में दूसरा बड़ा नाम था मुन्ना बजरंगी. लेकिन कुछ माह पहले ही जेल में बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अदालत का फैसला आने के बाद एक सवाल जन्म ले रहा है कि आखिर कृष्णानंद राय का कत्ल किसने किया था.
मुन्ना बजरंगी को मुख्तार अंसारी का खास शूटर माना जाता था. आरोप था कि बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय को मुख्तार के इशारे पर मुन्ना बजरंगी ने अपने साथियों के साथ मिलकर गोलियों से भून डाला था. तभी से यह मामला अदालत में चल रहा था. जिसमें बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी और कुख्यात गैंगस्टर मुन्नाबजरंगी समेत पांच लोगों को आरोपी बनाया गया था. उसी मामले में अदालत ने कई साल लंबी सुनवाई के बाद बुधवार को मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी सहित पांचों आरोपियों को बरी कर दिया. अब मामला घूम-फिरकर उसी सवाल पर अटक गया है कि आखिर कृष्णानंद राय का कातिल कौन है?
BJP MLA कृष्णानंद राय की हत्या की पहेली
1988 में पहली बार हत्या के एक मामले में बाहुबली मुख्तार अंसारी का नाम आया था. हालांकि मुख्तार के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पुलिस नहीं जुटा पाई थी. वह चर्चाओं में आ गए थे. 1990 का दशक मुख्तार अंसारी के लिए बड़ा अहम साबित हुआ. छात्र राजनीति के बाद जमीनी कारोबार और ठेकों की वजह से मुख्तार कब जरायम की दुनिया में आ गए उन्हें पता ही नहीं चला.
पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उनके नाम का सिक्का चलने लगा था. 1995 में मुख्तार अंसारी ने राजनीति की मुख्यधारा में कदम रखा. 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार विधान सभा के लिए चुने गए. उस समय ब्रजेश सिंह का काफी नाम था. लेकिन मुख्तार ने उसकी सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया. 2002 आते आते दोनों के गैंग ही पूर्वांचल के सबसे बड़े गैंग बन गए.
इसी बीच एक दिन ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला करा दिया. दोनों तरफ से गोलीबारी हुई इस हमले में मुख्तार के 3 लोग मारे गए. ब्रजेश सिंह भी इस हमले में घायल हो गया. उसके मारे जाने की अफवाह भी फैल गई. इस घटना के बाद बाहुबली मुख्तार अंसारी पूर्वांचल में अकेले गैंग लीडर बनकर उभरे. साथ ही राजनीति में भी मुख्तार आगे बढ़ गए. अब वह चौथी बार विधायक हैं. गैंगवार के बाद भी ब्रजेश सिंह जिंदा बचा और फिर से दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो गया.
अब ब्रजेश परेशान था कि अंसारी के राजनीतिक प्रभाव का मुकाबला कैसे किया जाए. तभी उसे मौका मिला और वह भाजपा नेता कृष्णानंद राय के साथ जुड़ गया. फिर उनके चुनाव में भी ब्रजेश ने रात दिन एक कर दिया. किस्मत से बीजेपी नेता कृष्णानंद राय ने 2002 के विधान सभा चुनाव में मोहम्मदाबाद से मुख्तार अंसारी के भाई और पांच बार के विधायक अफजाल अंसारी को हरा दिया.मुख्तार ने दावा किया कि कृष्णानंद राय ने ब्रजेश सिंह के गिरोह को सरकारी ठेके दिलाने के लिए अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल किया है. इस बीच गाजीपुर और मऊ में चुनाव के दौरान उनके वोटरों को बरगलाने की कोशिश की गई. उनके विरोधियों ने जाति के आधार पर वोटों को इधर उधर करना चाहा. जिसकी वजह से पूर्वांचल में कई आपराधिक घटनाएं और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं. एक मामले में तो मुख्तार अंसारी पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप भी लगा.
इसी आरोप के चलते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उसके बाद से वो जेल में ही बंद थे. मगर इसी दौरान वो दिन भी आ गया, जिसके बारे में किसी ने नहीं सोचा था. करीब आधा दर्जन बदमाशों ने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय को उनके 6 अन्य साथियों को गोलियों से भून दिया गया. हमलावरों ने 6 एके-47 राइफलों से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थीं.
इस हमले में मारे गए सातों लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गई थीं. इस हमले का एक महत्वपूर्ण गवाह शशिकांत राय 2006 में रहस्यमई परिस्थितियों में मृत पाया गया था. उसने कृष्णानंद राय के काफिले पर हमला कराने का आरोप मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी पर लगाया था. इस हत्याकांड ने यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया था.
कृष्णानंद राय की हत्या का असर ये हुआ कि मुख्तार अंसारी का दुश्मन ब्रजेश सिंह भी गाजीपुर-मऊ छोड़कर भाग निकला. 2008 में पुलिस ने उसे उड़ीसा से गिरफ्तार किया गया. 2008 में ही मुख्तार अंसारी को हत्या के एक अन्य मामले में एक गवाह धर्मेंद्र सिंह पर हमले का आरोपी बनाया गया था. हालांकि बाद में पीड़ित ने एक हलफनामा देकर अंसारी के खिलाफ कार्यवाही रोकने का अनुरोध किया था. 2012 में महाराष्ट्र सरकार ने मुख्तार पर मकोका लगा दिया था. उनके खिलाफ हत्या, अपहरण, फिरौती सहित जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. तभी से वह जेल में बंद हैं.