हैदराबाद/चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस की परेशानी बढ़ती जा रही है. दरअसल, तेलंगाना में पार्टी के 18 विधायकों में से दो-तिहाई ने गुरुवार को सत्तारूढ़ टीआरएस में अपने समूह के विलय का स्पीकर से अनुरोध किया. वहीं, पंजाब में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर निशाना साधा और कैबिनेट की अहम बैठक में शामिल नहीं हुए. इसके अलावा हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस के भीतर असंतोष के स्वर उभरे हैं. गुजरात कांग्रेस में भी बेचैनी दिखाई दे रही है.
एक ताजा घटनाक्रम में तेलंगाना में कांग्रेस के 18 में से 12 विधायकों ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष पी श्रीनिवास रेड्डी से मुलाकात की और राज्य में सत्तारूढ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) में अपने समूह के विलय के सिलसिले में उन्हें प्रतिवेदन दिया.
तंदूर से कांग्रेस विधायक रोहित रेड्डी के पाला बदलने के बाद राज्य में कांग्रेस विधायक दल के दलबदलू विधायकों की संख्या 12 हो गई है. यह संख्या राज्य में पार्टी के कुल विधायकों (18) की संख्या की दो तिहाई है. संविधान की 10 वीं अनुसूची के मुताबिक दलबदल रोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराये बगैर एक नया राजनीतिक समूह बनाने या किसी अन्य राजनीतिक दल में ‘विलय’ के लिए पार्टी के कम से कम दो तिहाई विधायकों के अलग होने की जरूरत होगी.
कांग्रेस विधायक दल के नेता ने विधानसभा परिसर में प्रदर्शन किया
उन्होंने दलबदलू विधायकों के ताजा कदम के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता एम भट्टी विक्रमार्का और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ विधानसभा परिसर में प्रदर्शन किया. इससे पहले दिन में, कांग्रेस विधायक रोहित रेड्डी ने नाटकीय घटनाक्रम के तहत मुख्यमंत्री के बेटे और टीआरएस के कार्यवाहक अध्यक्ष के. टी. रामा राव से मुलाकात की और सत्तारूढ दल के प्रति अपनी वफादारी का संकल्प लिया. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक जी वेंकट रमन रेड्डी ने संवाददाताओं को बताया कि 12 विधायकों ने राज्य के विकास के लिए मुख्यमंत्री के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है. उन्होंने बताया कि उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को एक प्रतिवेदन देकर टीआरएस में विलय का अनुरोध किया है.
उन्होंने कहा, “हमने कांग्रेस विधायक दल की एक विशेष बैठक की. सभी 12 सदस्यों ने मुख्यमंत्री केसीआर के नेतृत्व को समर्थन दिया और उनके साथ काम करने का अनुरोध किया. हमने स्पीकर को प्रतिवेदन दिया और उन्हें टीआरएस में अपने विलय का अनुरोध किया.”
पंजाब में कैप्टन और सिद्धू के बीच तकरार
इस दक्षिणी राज्य में चल रहे घटनाक्रम के बीच पंजाब में सिद्धू कैबिनेट की बैठक से दूर रहें. सिद्धू ने कहा, “उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता.” सिद्धू हालिया लोकसभा चुनाव में पंजाब के शहरी इलाकों में कांग्रेस के ‘‘खराब प्रदर्शन’’ को लेकर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की नाराजगी का सामना कर रहे हैं. आमचुनाव के बाद पंजाब में अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट की यह प्रथम बैठक थी. अमरिंदर ने हाल में कहा था कि वह लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन को देखकर सिद्धू का स्थानीय शासन विभाग बदलना चाहते हैं.
सिद्धू ने संवाददाताओं से कहा, “मुझे हल्के में नहीं लिया जा सकता. मैंने अपने जीवन में 40 साल तक अच्छा प्रदर्शन करके दिखाया है, भले ही वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की बात हो या ज्योफ्री बॉयकाट के साथ विश्वस्तरीय कमेंट्री की बात, टीवी कार्यक्रम की बात हो या 1300 प्रेरक वार्ताओं का मामला हो.” उन्होंने कहा कि पंजाब में पार्टी की जीत में शहरी इलाकों ने अहम भूमिका निभाई. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके विभाग को निशाना बनाया जा रहा है.
सिद्धू ने कहा, ‘‘मेरे विभाग पर सार्वजनिक रूप से निशाना साधा जा रहा हैं. मैंने हमेशा उन्हें बड़े भाई की तरह सम्मान दिया है. मैं हमेशा उनकी बात सुनता हूं. लेकिन इससे दुख पहुंचता है. सामूहिक जिम्मेदारी कहां गई? मुझे बुलाकर वह वो सब कह सकते थे, जो वह कहना चाहते थे.’’
राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात में असंतोष
वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए महज कुछ ही महीने बचे होने के बावजूद राज्य में कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अंदर मनमुटाव उभर कर सामने आ गया है. राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रति निष्ठा रखने वाले कुछ विधायकों ने हालिया लोकसभा चुनाव में प्रदेश में पार्टी के खराब प्रदर्शन को लेकर प्रदेश पार्टी प्रमुख अशोक तंवर को निशाने पर लिया है.
कांग्रेस की राजस्थान इकाई में भी असंतोष के स्वर सुनने को मिल रहे हैं, जहां आम चुनाव में पार्टी को मिली करारी शिकस्त के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच कथित तौर पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है. इसी तरह की खबरें मध्य प्रदेश से भी आ रही है, जहां सत्तारूढ़ कांग्रेस अपने विधायकों को एकजुट रखने और शासन में बने रहने के लिए मशक्कत करती नजर आ रही है. राज्य में कांग्रेस नीत सरकार को बसपा और निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है.
उधर, गुजरात कांग्रेस में भी बेचैनी बढ़ रही है. दरअसल, राज्य में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी के कुछ विधायक बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. हाल ही में कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के कुछ विधायकों के बीजेपी से हाथ मिलाने की खबरें आने के बाद सरकार की स्थिरता के लिए गठबंधन को परेशानी का सामना करना पड़ा.